विदर्भ

नकली नोट प्रकरण में चारों को 12 वर्ष सश्रम कारावास

62 लाख रुपए का जुर्माना

* विशेष सत्र न्यायालय का निर्णय
नागपुर/ दि.15 – नकली नोट चलन में लाकर भारतीय वित्त व्यवस्था बिगाडने की अंतरराष्ट्रीय साजिश में शामिल चार देशद्रोही आरोपियों को सोमवार को 12 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई. साथ ही कुल 62 लाख रुपए जुर्माना ठोका गया. एनआईए कानून के विशेष सत्र न्यायालय के न्यायमूूर्ति पी. वाय. लाडेकर ने यह फैसला सुनाया.
जानकारी के मुताबिक सजा सुनाए गए आरोपियों के नाम मीर अनवरुल उफर्र् मीर अली हुसैन (37), मो. अब्दुला उर्फ अब्दुल हक साकीर अली (41), शेख गफ्फार उर्फ अब्दुल गफ्फार (52) और शेख सत्तार शेख मुसा (31) हैं. मीर अनवरुल और मो. अब्दुला यह पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के तथा शेख गफ्फार और शेख सत्तार चंद्रपुर जिले के जिवती ग्राम निवासी है. मीर अनवरुल, शेख गफ्फार और शेख सत्तार को प्रत्येकी धारा 489- ब के तहत 12 साल सश्रम कारावास और 3 लाख रुपए जुर्माना और जुर्माना अदा न करने पर 1 साल अतिरिक्त कारावास, धारा 489-सी के तहत 6 साल की सश्रम कारावास और 2 लाख रुपए जुर्माना, जुर्माना अदा न करने पर 8 माह अतिरिक्त कारावास, धारा 120-ब के तहत 12 साल सश्रम कारावास और 3 लाख रुपए जुर्माना और जुर्माना अदा न करने पर एक साल अतिरिक्त कारावास, बेकानून कार्रवाई प्रतिबंध कानून की धारा 16 व 18 के तहत 10 साल सश्रम कारावास, 3 लाख रुपए जुर्माना और जुर्माना अदा न करने पर 1 साल अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई.
मो. अब्दुला को धारा 489-ब के तहत 12 साल सश्रम कारावास, 5 लाख रुपए जुर्माना और जुर्माना अदा न करने पर 18 माह अतिरिक्त कारावास, धारा 489-सी के तहत 6 साल सश्रम कारावास, 4 लाख रुपए जुर्माना और जुर्माना अदा न करने पर 15 माह अतिरिक्त कारावास, धारा 120-ब के तहत 12 वर्ष सश्रम कारावास, 5 लाख रुपए जुर्माना और जुर्माना अदा न करने पर 18 माह अतिरिक्त कारावास तथा बेकानून कार्रवाई प्रतिबंधित कानून की धारा 18 के तहत 10 साल सश्रम कारावास, 6 लाख रुपए जुर्माना और जुर्माना अदा न करने पर 18 माह अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई. चारों आरोपियों को कारावास की सभी सजा एक साल भुगतनी होगी.
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आतंकवादी विरोधी दल की कार्रवाई
आतंकवाद विरोधी दल के नागपुर युनिट के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक विद्याशंकर मिश्रा के नेतृत्व वाले दल ने नागपुर रेलवे स्टेशन पर 4 अक्तूबर 2015 को मीर अनवरुल से 9 लाख 11 हजार रुपए के तथा 18 अक्तूबर 2015 को अब्दुल गफ्फार से 5 लाख रुपए की नकली नोट जब्त की थी. सभी नोट 1 हजार और 500 रुपयों की थी. इस प्रकरण मेें आगे की जांच में इन नोटों की तस्करी में दो अन्य आरोपियों का भी समावेश पाया गया. इस कारण चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. नकली नोट की तस्करी बाबत आतंकवाद विरोधी दल को गोपनीय जानकारी मिली थी. अदालत ने सरकार की तरफ से एड. प्रशांत सत्यनाथन ने काम संभाला. उन्हें एड. वेदांत दाते व एड. नंदिनी सिंग ने सहयोग किया.

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