* बगैर ऑपरेशन किया ठीक, मरीज को तीन दिनों में छुट्टी भी
नागपुर/दि.29– 50 बरस के कामताप्रसाद दिवांगन सचमुच बडे नसीबवाले हैं. उनके दिल में तीव्र हृदयाघात से हुआ छिद्र यहां के न्यू इरा अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बगैर शल्कक्रीया ठीक कर दिया. इतना ही नहीं मरीज तीन दिनों में ही ठीक होकर घर भी चला गया. इस कमाल के ऑपरेशन में डॉ. मनीष चौखंद्रे, डॉ. निधीश मिश्रा, कॉर्डियोथॉरेसिक सर्जन डॉ. आनंद संचेती, डॉ. संदीप धुत, डॉ. आयुष्मा जेजानी ने योगदान किया. अस्पताल के संचालक डॉ. नीलेश अग्रवाल ने कहा कि, अद्यतन तकनीक के कारण ऐसे गंभीर प्रकरणों को हल करने में सहायता होती हैं.
* छाते जैसा उपकरण
डॉक्टर्स ने बताया कि, दिल का तेज दौरा पडने से कामताप्रसाद की जान खतरे में पड गई थी. हृदय के परदे में छेद हो गया था. छेद को बंद करने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी का पर्याय था, जिसमें मृत्यु का खतरा 20 प्रतिशत होने से उसे टाला गया और मरीज के जान से कैथेटर जैसी नली डालकर छाते जैसे उपकरण से छेद बंद कर दिया गया. मरीज को जीवनदान मिला.
* डॉक्टर मिश्र का कहना
कामताप्रसाद को एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था. हालत गंभीर होने से न्यू इरा अस्पताल लाया गया. अस्पताल के हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. निधीश मिश्र ने कहा कि, मरीज की जांच करने पर पाय वैट्रिक्यूलरल सेप्टल रप्चर नामक दुर्लभ बीमारी हो गई हैं. इसमें हृदय के दाए और बाए वैंट्रिकल्स को विभाजित करने वाले परदे में छेद हो गया था. तुरंत उपचार नहीं करने पर मृत्यु का खतरा 90 प्रतिशत तय था. इस पर ओपन हार्ट सर्जरी का पर्याय था. किंतु उसमें भी जान का खतरा 20 प्रतिशत था. ऐसे में बगैर ऑपरेशन किए उपकरण के जरिए छेद बंद करने का पर्याय चुना गया. डॉ. मिश्र ने बताया कि, बीमारी से मरीज के हार्ट में बडा छिद्र होता है, आगे बढता जाता हैं इससे इलाज में बडी दिक्कत होती हैं. 23 नवंबर को मरीज की सर्जरी की गई. 26 नवंबर को स्वास्थ्य बेहतर होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया.