विदर्भ

और एक एन्रॉन को महाराष्ट्र में आने आतुर!

गैस प्रकल्प की तरफ से महावितरण पर डोरे डालने का प्रयास

नागपुर/दि.15 – कुछ वर्ष पूर्व विवादस्पद रहे गैस आधारित एन्रॉन प्रकल्प के कारण महाराष्ट्र राज्य को काफी परेशानी सहन करनी पड रही थी. ऐसा रहते इस गैस प्लान्ट के अधिकारियों ने महावितरण कंपनी व्दारा गैस आधारित उर्जा प्रकल्प के साथ बिजली खरीदी करार करने के लिए प्रयास शुरु किए हैं. लेकिन इस करार के कारण महावितरण को काफी भार पडने वाला रहने से महावितरण के अधिकारियों में तीर्व असंतोष व्याप्त हैं.
महावितरण के अधिकारियों ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाडी वाली सरकार ने मुंबई की ग्रीड रिक्त होने की समस्या रोकने ले लिए उच्चधिकारी समिति की स्थापना की थी. इस समिति ने रायगढ जिले के 388 मेगावेट गैस आधारित बिजली के लिए पायोनियर गैस पॉवर लिमेटेड के साथ करार करने का उपाय सूचित किया था. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को यह प्रस्ताव मंजूर नहीं था. महावितरण के अधिकारियोें ने इस करार बाबत आपत्ति दर्ज की. मुंबई के ग्रीड फेल्युअर टालने के लिए महावितरण व्दारा पीपीए पर हस्ताक्षर क्यों करना? मुंबई में लाइसेंसधारक अदानी, टाटा और बेस्ट ने उसे करना उसे करना चाहिए. दूसरा यानि गैस आधारित पावर प्लांट के लिए क्यों जाना? देश में गैस उपलब्ध नहीं है और वर्तमान का प्रकल्प या तो बंद अथवा आदि क्षमता से शुरु हैं. यह प्रकल्प आयातित गैस पर चलाया तो प्रति यूनिट 12 रुपए गिनने पडेंगे. प्रकल्प का कुछ भी उपयोग नहीं होगा. महावितरण को वर्षभर में प्रति यूनिट 1.50 से 2 रुपए दर से निश्चित शुल्क भरना पडेगा. इस कारण महावितरण के ग्राहकों पर ही भार पडेगा ऐसा महावितरण के एक अधिकारी ने कहा. अन्य एक अधिकारी के मुताबिक मुंबई में ग्रीड रिक्त होने से रोकने के लिए दूसरा पॉवर प्लांट निर्मित करने में कोई अर्थ नहीं हैं. सरकार और मुंबई की बिजली कंपनियों को ग्रीड बेकार न करना हो तो पारेषण नेटवर्क मजबूत करना चाहिए. ट्रांसमिशन नेटवर्क लडखडाया तो पीजीपीएल पॉवर प्लांट का ज्यादा उपयोग नहीं होगा. विशेष यानि पीजीपीएल प्रकल्प 5 साल से बंद है और उसके मालिकों को महावितरण की तरफ से निश्चित शुल्क वसूल कर उसकी कीमत वसूल करनी हैं. 388 मेगावेट क्षमता के एक विद्युत प्रकल्प की कीमत करीबन 2 हजार करोड रुपए होगी और यह इसका घोटाला है ऐसा भी अधिकारी ने कहा.

* रेरा अध्यक्ष भी थे बैठक में
पीजीपीएल प्रकल्प बाबत चर्चा करने के लिए 13 जुलाई 2021 को तत्कालीन उर्जा मंत्री नितिन राउत की अध्यक्षता में बैठक हुई. इस बैठक की जानकारी के मुताबिक रियल इस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के अध्यक्ष अजोय मेहता उपस्थित थे. विद्युत क्षेत्र में रेरा की कोई भी भूमिका न रहने से मेहता बैठक में क्या कर रहे थे ऐसा प्रश्न महावितरण के अधिकारियों में हैं. रेरा यह अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण रहने से उसके अध्यक्ष सरकारी बैठक में उपस्थित रहने से अनेक लोग अचंभित हो गए हैं.

 

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