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अनिल देशमुख का इस्तीफा लेना हमारी गलती थी

नागपुर में बोले सेना नेता संजय राउत

* फैसले को बताया जल्दबाजी में लिया गया निर्णय
* केंद्रीय जांच एजेंसियों को केंद्र सरकार का खिलौना कहा
नागपुर/दि.22- पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख का इस्तीफा लेना एक तरह से हमारी गलती थी और यह फैसला बेहद जल्दबाजी में लिया गया. यह बात अब हमारे ध्यान में आ गई है, क्योंकि हमने देशमुख के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा इकठ्ठा किये गये सबूतों को देखा है. साथ ही जिन वजहों के चलते देशमुख के घर व कार्यालय पर छापे मारे गये थे, उन वजहों की भी पडताल की है. जिसके बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे है कि, देशमुख के खिलाफ कोई मामला ही नहीं बनता और उन्हें बेवजह ही झूठे आरोपों में फंसाया गया है. इस आशय का प्रतिपादन शिवसेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता व सांसद संजय राउत ने किया.
शिवसेना की ओर से शुरू किये गये राज्यव्यापी शिव संपर्क अभियान के तहत आज नागपुर के दौरे पर पहुंचे सांसद संजय राउत ने यहां पर एक पत्रवार्ता को संबोधित करते हुए उपरोक्त बात कही. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, केंद्र सरकार द्वारा इस समय केंद्रीय जांच एजेंसियों को अपनी कटपुतली बनाकर रखा गया है और जिन-जिन राज्यों में भाजपा की सत्ता नहीं है, वहां पर ईडी की कार्रवाईयां की जा रही है. इसके तहत वे खुद भी एक पीडित पक्ष है और उनके परिवार को लेकर भी कई तरह के आरोप लगाये गये है. लेकिन वे ऐसे आरोपों से डरनेवाले नहीं है और किसी के दबाव में आकर झूकने का तो सवाल ही नहीं उठता. सांसद संजय राउत ने यह भी कहा कि, इस समय पश्चिम बंगाल में केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा सर्वाधिक कार्रवाईयां की जा रही है. जहां पर मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के भानजे को भी ईडी द्वारा जांच-पडताल व पूछताछ के लिए बुलाया गया है. कुल मिलाकर इस समय केंद्रीय जांच एजेसियों के अधिकारी सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं की तरह व्यवहार कर रहे है. जिनके दम पर भाजपा द्वारा पूरे देश में बदले की भावना के तहत कार्रवाई की जा रही है. यह सीधे-सीधे सत्ता और अधिकारों का दुरूपयोग है.
शिवसेना के पार्टी प्रमुख व राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के निर्देश पर राज्य में आज से शुरू हुए शिव संपर्क अभियान के तहत विदर्भ दौरे पर पहुंचे पार्टी प्रवक्ता व सांसद संजय राउत ने कहा कि, विदर्भ ने शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे तथा शिवसेना को काफी अपनापन दिया है. किंतु विगत कुछ समय से विधानसभा में विदर्भ क्षेत्र से शिवसेना का प्रतिनिधित्व कुछ कम हुआ है. इसके पीछे मुख्य वजह यह रही कि, युती के दौरान विदर्भ की कई सीटों को भाजपा ने अपने हिस्से में ले लिया. जिसके चलते शिवसेना को यहां पर कुछ नुकसान का सामना करना पडा, लेकिन अब पार्टी खुद को विदर्भ क्षेत्र में मजबूत करने पर पूरा ध्यान दे रही है और विदर्भ क्षेत्र में पार्टी एक बार फिर अपनी संगठनात्मक मजबूती को प्राप्त कर लेगी.

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