580 अपात्र शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी की नियुक्तियां रद्द होगी
वेतन भी वसूल किया जाएगा, मुख्यमंत्री ने लिया गंभीरता से

* कार्रवाई करने के दिये निर्देश
नागपुर/दि.15– फर्जी शालेय आईडी के जरिए शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति सरकार को करोडों रुपए का चुना लगाने का घोटाला सामने आने के बाद शिक्षण विभाग ने उपर से लेकर नीचे तक खलबली मच गई है. नागपुर विभाग ने अब तक 5 अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है.
सूत्रों के मुताबिक नागपुर विभाग ने हुई 580 नियुक्तियों की जांच शुरु की गई है. यह नियुक्तियां रद्द किये जाने की संभावना है. विशेष यानि फर्जी नियुक्तियां होने की बात सिद्ध होने पर अब तक सरकार की तरफ से लिये गये वेतन की संपूर्ण राशि वसूल की जाने वाली है. सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक शिक्षण विभाग के इस घोटाले के संदर्भ में मुख्यमंत्री देवेेंद्र फडणवीस ने झीरो टॉलरन्स की भूमिका स्वीकारी है. इस घोटाले की तह तक जाने और जो जिम्मेदार होंगे. उनकी संपूर्ण कुंडली तैयार कर कार्रवाई करने की सूचना मुख्यमंत्री ने शिक्षण मंत्रालय स्तर पर दी है, ऐसी जानकारी है. इस कारण आगामी समय में इस घोटाले में और भी गिरफ्तारियां होने की संभावना है.
* अब तक कार्रवाई
– 10 अप्रैल 2025 : वेतन दल अधीक्षक नीलेश वाघमारे निलंबित.
– 12 अप्रैल 2025 : नागपुर विभागीय शिक्षण उपसंचालक उल्हास नरड गडचिरोली में गिरफ्तार.
– 13 अप्रैल 2025 : शिक्षणाधिकारी कार्यालय के अधीक्षक श्रेणी-2 नीलेश शंकरराव मेश्राम, शिक्षण उपसंचालक कार्यालय के उपनिरीक्षक संजय शंकरराव दुधालकर और शिक्षण उपसंचालक कार्यालय के ही वरिष्ठ लिपिक सूरज पुंजाराम नाईक गिरफ्तार.
* नियुक्ति के लिए प्रत्येक से 30 से 40 लाख वसूले
माध्यमिक शिक्षक की फर्जी नियुक्ति के लिए प्रत्येक से 30 से 40 लाख रुपए वसूल किये गये है. यह रकम नकद स्वरुप में नियुक्ति के पहले ही ली जाती थी. विशेष यानि नियुक्ति के बाद तत्काल आगामी माह में वेतन शुरु होने से शिक्षक के रुप में कार्यरत हुए शिक्षकों को भी इतने पैसे देने का खेद नहीं था. अब यह घोटाला उजागर होने से फर्जी नियुक्त हुए शिक्षकों पर भी गाज गिरने की संभावना है.
* बैंक के पासबुक से खुली पोल
फर्जी शालार्थ आईडी तैयार कर 2013 के पूर्व की नियुक्ति दिखाकर शिक्षकों को सेवारत किया गया. प्रत्यक्ष में यह नियुक्ति दो साल में की गई. उनका वेतन उसी कालावधि में शुरु किया गया. अब इन बोगस शिक्षकों के बैंक खातों का वेतन जमा होने की बात जांच में देखी जाने वाली है. नियुक्ति 10 वर्ष पूर्व और वेतन रहा तो नियुक्ति बोगस रहने पर अपने आप मुहर लगने वाली है. घोटाले के लिए तीन कार्यालयों की चैन बोगस नियुक्ति घोटाला करने के लिए तैयार हुई थी. ‘सेटर’ द्वारा किसी शिक्षक के नियुक्ति का प्रस्ताव लाया गया, तो तीनों विभाग के इस प्रक्रिया में लिप्त अधिकारी आपसी सहमति से उस पर निर्णय लेते थे. सभी का हिस्सा निश्चित था और उसके बाद नियुक्ति प्रस्ताव को मंजूरी दी जाती थी.