जब तक घटना की कडी नहीं जुडती, आरोप सिध्द नहीं हो सकता
हाईकोर्ट ने खारिज की हत्यारोपी की उम्रकैद
नागपुर/ दि. 8- मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हाल ही में दिये गए फैसले में स्पष्ट किया है कि, हत्या के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए सरकारी पक्ष को यह साबित करना जरुरी है कि, मामले में आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत और पर्याप्त गवाह हैं. इसके अलावा घटना की कडी जोडकर यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि, हत्या आरोपी ने ही की है. इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने यवतमाल सत्र न्यायालय के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसके तहत निचली अदालत ने अविनाश राठोड (26) को हत्या का दोषी मानकर उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
बताया जाता है कि, छाया (बदला हुआ नाम) आरोपी की बहन की ननद थी. छाया पहले से शादीशुदा थी, लेकिन उसके पति को शराब की लत होने के कारण वह मायके में रहती थी. आरोपी छाया से विवाह करना चाहता था, लेकिन छाया की मां को यह स्वीकार नहीं था. इसी बीच अरुण को यह भी शक था कि, छाया अपने भाई के साथ मिलकर उसकी बहन को परेशान करते हैं. घटना 2 मार्च 2011 की है. छाया घर से लकडी लाने निकली और लौट कर नहीं आयी. तीन दिन बाद उसका शव बरामद हुआ. पुलिस ने जांच की और सबूतों के आधार पर अविनाश को गिरफ्तार कर लिया. 28 फरवरी 2014 को यवतमाल सत्र न्यायालय ने आरोपी को भादंवि की धारा 302 और 309 के तहत दोषी करार देकर उम्रकैद और कुल 35 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी. उसे धारा 376 यानी दुष्कर्म के आरोप से बरी किया गया था. आरोपी ने इस फैसले को एड. राजेंद्र डागा के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. एड.डागा ने आरोपी के बचाव में दलील दी कि, निचली अदालत में आरोपी को सिर्फ परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर सजा दे दी गई. न तो मामले में घटनाओं की कडी जोडी गई और न ही गवाह प्रस्तुत किये गए. मामले में सभी पक्षों को सुनने के पश्चात कोर्ट ने ठोस सबूतों के अभाव में युवक को बरी कर दिया है.