नागपुर/दि.17 – महाराष्ट्र में बाघों की संख्या काफी तेजी से बढने के कारण बिहार सरकार ने महाराष्ट्र सरकार को बाघों की मांग किये जाने की जानकारी मिली है. वाल्मिकी टायगर प्रोजेक्ट के क्षेत्र संचालक के साथ बिहार के उच्च स्तरीय अधिकारियों की बैठक ली गई. इस बैठक में इस विषय पर चर्चा की गई. वैसा पत्र राज्य के प्रधान मुख्य संरक्षक (वन्यजीव) विभाग को भेजा गए है. इस बारे में अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया.
राज्य में 340 से 350 से भी अधिक बाघ है. इसमें से करीब 200 से अधिक बाघ चंद्रपुर जिले समेत ताडोबा-अंधारी टायगर प्रोजेक्ट में है. चार वर्षों में होने वाली राष्ट्रीय टायगर गनना फिलहाल की जा रही है. इसका काम भी युध्द स्तर पर शुरु है. महाराष्ट्र में बाघों की संख्या और अधिक बढ सकती है. इस स्थिति को देखते हुए अन्य राज्य ने महाराष्ट्र से बाघों की मांग की है. जिसमें बिहार सरकार का समावेश है. बिहार के वन अधिकारी व मंत्रालयीन अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक ली गई. उस बैठक में महाराष्ट्र में बाघों की संख्या बढने के कारण उनके स्थलांतरण पर विचार किया गया. वहां की सरकार ने महाराष्ट्र के वन्यजीव विभाग को पत्र भिजवाया है, उसमें बाघों की मांग की गई है.
चंद्रपुर जिले के बाघों की संख्या बढने के कारण मानव व वन्यजीव के बीच संघर्ष बढ गया है. इसे कम करने के लिए बाघों की संख्या बढने के कारण उन्हें स्थलांतरित करने का मुद्दा उपस्थिति किया गया था. मगर स्वयंसेवी संस्था और मीडिया ने इसका विरोध किया. इसके कारण यह प्रस्ताव ठाकरे सरकार ने ठंडे बस्ते में डाला है. सह्याद्री टायगर प्रोजेक्ट में तृणभक्षक प्राणी उस परिसर में छोडे जा रहे है. उनकी संख्या बढने के बाद बाघ छोडने के बारे में सकारात्मक चर्चा शुरु है. इस बीच वाल्मिकी टायगर प्रोजेक्ट के संचालक ने प्रोजेक्ट मे बाघ छोडने के लिए उत्तम होने की बात बताई. बिहार सरकार समेत अन्य राज्य में भी महाराष्ट्र से बाघों की मांग की है. मगर इस बारे में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार राष्ट्रीय टायगर संवर्धन प्राधिकरण (एनटीसीए) के पास है. उनकी मान्यता के बाद भी इस बारे में अंतिम निर्णय लिया जाएगा, इस वजह से फिलहाल रास्ता नहीं निकल पाया.