विदर्भ

नागपुर में रेमडेेसिविर की कालाबाजारी

प्रेमी के साथ नर्स गिरफ्तार

  • 5 इंजेक्शन जब्त : वाठोडा पुलिस की कार्रवाई

नागपुर/दि.20 – पुलिस की कडी भूमिका के बाद भी रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी शुरु ही है. कोविड सेंटर से एक मरीज का रेमडेसिविर इंजेक्शन चुराकर प्रेमी के मदत से उसकी कालाबाजारी करने वाली नर्स को वाठोडा पुलिस ने पकडा. ज्योती अजित (23, जामठा) व शुभम सत्यनिवास अर्जुनवार (24, नागेश्वर नगर, पारडी) यह आरोपियों के नाम है. ज्योती जामठा स्थित गायकवाड पाटिल परिसर में बनाए गए कोविड सेंटर में नर्स है. वह मुलत: शिवणी की निवासी है. भोपाल से नर्सिंग कोर्स करने के बाद वह नागपुर में आयी. उसके शुभम के साथ प्रेमसंबंध है. शुभम बांधकाम ठेकेदार है. कोविड सेंटर में नर्स रहने से ज्योती को फिलहाल रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मरीज कोई भी कीमत देने के लिए तैयार रहने की जानकारी है. जिससे वह भी इंजेक्शन की कालाबाजारी करने लगी. उसने शुभम को भी अपनी योजना में शामिल किया. वाठोडा पुलिस को इसकी जानकारी मिली. शुभम बाइक पर सवार होकर वाठोडा स्मशान भूमि से ही रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदता था. पुलिस ने उसे रोका, उसकी तलाशी ली तब उसके पास 5 रेमडेसिविर इंजेक्शन मिले. इस बाबत उसे पूछने पर शुभम ने बताया कि उसे जामठा के पास एक बाइक सवार ने रेमडेसिविर बेचने के लिए दिये है, किेंतु कौनसे बाइक सवार ने दिये इस बाबत मात्र वह समाधानकारक जवाब नहीं दे रहा था. बाद में उसे पुलिस ने बेल्ट दिखाते ही शुभम ने ज्योती का नाम बताया. कल सोमवार को सुबह ज्योती को भी हिरासत में लिया गया. उसने कोरोना बाधित मरीज की मेडिसीन किट से रेमडेसिविर इंजेक्शन चुराने की बात कबुली. दोनों को भी 2 दिन की हिरासत में भेजा गया है. यह कार्रवाई डीसीपी डॉ.अक्षय शिंदे के मार्गदर्शन में पीआई आशालता खापडे, पीएसआई रमेश नन्नावरे, एएसआई बट्टलाल पांडे, सिपाही जगन्नाथ घायवड, रोहिदास जाधव, अतुल टिकले, पवन साखरकर व चालक गजेश ने की.

तीन दिन में 40 रेमडेसिविर जब्त

पिछले तीन दिन में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के 4 रैकेट पुलिस के हाथ लगे है. इसमें 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. उनके पास से 40 इंजेक्शन जब्त किये गए. इसमें 9 वार्डबॉय व 1 नर्स का समावेश है तथा 1 डॉक्टर, 2 मेडिसीन स्टोअर्स के कर्मचारी और फार्म डिस्टीब्यूटर व कथित पत्रकार का भी समावेश है. रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने में पुलिस सक्रिय रहने की बात दिखाई देती है. किंतु एफडीए मात्र इस संदर्भ में पूरी तरह से उदासीन दिखाई देता है.

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