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‘गद्दारीचे पाप, महाराष्ट्राला ताप’

50 खोके के साथ विपक्ष की नई नारेबाजी

* विधानमंडल का कामकाज पूरे दिन स्थगित
नागपुर/दि.19- अपेक्षानुसार विधामंडल के शीतसत्र का आरंभ कर्नाटक से सीमा विवाद और महापुरुषों के कथित अपमान को लेकर हंगामे तथा प्रदर्शन के साथ हुआ. सदन में विपक्ष की जोरदार नारेबाजी के कारण कामकाज पूरे दिन के लिए स्थगित करना पडा. विपक्ष ने सीढियों पर बैनर, पोस्टर लेकर आंदोलन किया. जिसमें पुरानी 50 खोके, एकदम ओके के साथ नई नारेबाजी ‘गद्दारीचे पाप, महाराष्ट्राला ताप’ की गई.
विपक्ष के नेता अजीत पवार, अंबदास दानवे, धनंजय मुंडे, अशोक चव्हाण, नाना पटोले आदि सहित महाआघाडी के सभी विधायक इस आंदोलन में शामिल हुए. 50 खोके… का बैनर यह विधायक झलका रहे थे. उसी प्रकार कर्नाटक सरकार हाय हाय, ईडी सरकार हाय हाय के नारे लगाए गए. सीढियों पर हुए आंदोलन में घोषणाएं देते हुए अजीत पवार और दानवे ने कर्नाटक सरकार का धिक्कार हो, विदर्भ को न्याय मिलना चाहिए, महाराष्ट्र द्रोही को संरक्षण देने वाली सरकार का धिक्कार की नारेबाजी जमकर की गई. इस समय छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटील, यशोमती ठाकुर, अदिती तटकरे, राजेश टोपे, एकनाथ खडसे और अन्य विधायक जोश से प्रदर्शन में सहभागी हुए.
* बोम्मई के ट्विट पर चुप्पी
ेकांगे्रस नेता और पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने कर्नाटक के सीएम बोम्मई के अधिकृत ट्विटर हैंडल से प्रक्षोभक ट्विट के बारे में महाराष्ट्र को गुमराह करने का आरोप सरकार पर लगाया. उन्होंने गंभीर मुद्दे पर शासन की चुप्पी पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि ट्विट की भाषा आक्षेपार्ह है. गुस्सा बढने पर ट्विटर हैंडल फेक होने का खुलासा किया गया हैं. चव्हाण ने कई सवाल उपस्थित किए.
* समिति व्दारा होगी जांच
विपक्ष के तेवर देख सरकार ने बोम्मई के ट्विट की जांच की घोषणा की. मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि, अकांउट के बारे में समिति जांच करेगी. इस बारे में गृह मंत्री अमित शाह व्दारा दिए गए निर्देश के पालन का पुनरुच्चार उन्होंने किया. यह भी आरोप लगाया कि, 60 वर्षो से सीमा क्षेत्र के गांवों की समस्याएं जो दल सत्ता में रहते हल नहीं कर सके वहीं श्रेयवाद को भडकाने का प्रयास कर रहे हैं. सीमा विवाद को नाहक तूल दिया जा रहा हैं.
* सहानुभूति पर सरकार की चाहत
शिवसेना उबाठा नेता आदित्य ठाकरे ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. उसका जवाब देते हुए केसरकर ने कहा कि, वह युवा हैं. पहली बार विधायक बने हैं. उन्हें संविधान सम्मत और संविधान के बाहर का विषय की जानकारी नहीं हैं. वे केवल सहानुभूति के आधार पर सरकार लाने की कोशिश में हैं.

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