
नागपुर/ दि. 12– ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस जवान ने सर्विस रिवॉल्वर से खुद को ही गोली मार ली. गोली नीचे के जबडे को चीरते हुए माथे से बाहर निकल गई. गंभीर हालत में पुलिस कर्मी को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)नागपुर में भर्ती कराया गया. एम्स के डाक्टरों ने जटिल सर्जरी और अचूक इलाज कर पुलिस कर्मी को मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया. जल्द ही मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया.
18 जनवरी को सुबह यह घटना हुई थी. जख्मी पुलिस कर्मी को एम्स के टॉमा केयर सेंटर में भर्ती कराया गया. उसके नीचे के जबडे से बेतहाशा रक्तस्त्राव हो रहा था. नाक के अंदर की हड्डी से गोली गुजरने की वजह से वह नाक से सांस नहीं ले पा रहा था. स्थिति चिंताजनक थी. डॉ. मेहेंद्र चव्हाण, डॉ. सौम्या घोषाल, डॉ. विवेक कुमार, डॉ. नवनीत पाटरेथ और डॉ. अक्षय सिंगवी के नेतृत्व में मरीज का इलाज किया गया.
श्वसन के लिए गले में अस्थायी छेद किया गया था. श्वसन के लिए वहां से ट्यूब डाला गया. यह सर्जरी डॉ. किरण प्रतिपाटी, डॉ. कृतिका घाटोडे (ईएनटी विभाग) और डॉ. नीलेश जगने(ट्रॉमा सर्जरी विभाग) की टीम ने सफलतापूर्वक किया. एनेस्थिया टीम में डॉ. अविनाश प्रकाश, डॉ. चयानिका कुटुम और डॉ. मधु सिन्हा का समावेश था. नीचे के जबडे से गोली घुसने से जबडे , नाक की हड्डी और सिर के हिस्से को नुकसान पहुंचा था. डॉ. महेंद्र चव्हाण, डॉ रामराम पी.एन. डॉ. उदय किरण उप्पाडा और डॉ. नेविदा के नेतृत्व में मरीज के चेहरे की सर्जरी की गई. विशेष मेटल के प्लेट्स का उपयोग किया गया. डॉ. नीेलेश जगने, डॉ. नेविदा और डॉ. अमनदीप ने मैक्सिलोफेशियल सर्जरी की. जटिल सर्जरी के बाद डॉ. गजानन चव्हाण व डॉ. सुचेता मेश्राम ने मरीज को खतरे से बाहर निकाला.
एम्स के आपातकालीन सेवा का यह उत्तम उदाहरण हे. डॉक्टरों की टीम वर्क भरोसे औरअचूक इलाज कर मरीज को मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया गया. इससे चिकित्सा सेवा में एम्स की गुणवत्ता साबित होती है.
डॉ. प्रशांत जोशी,
कार्यकारी निदेशक एम्स, नागपुर