नागपुर में 33 वर्ष बाद होगा मंत्रिमंडल का विस्तार
सन 91 में पहली बार भुजबल सहित 6 उपमंत्रियों के साथ किया गया था विस्तार
* शिवसेना में पहली बगावत के बाद हुई थी छगन भुजबल की शपथविधि
नागपुर /दि.14– कल रविवार 15 दिसंबर को नागपुर में होने जा रहा महायुति सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार महाराष्ट्र विधान मंडल के इतिहास में इस तरह का दूसरा ही प्रसंग रहेगा. इससे पहले 33 वर्ष पूर्व दिसंबर 1991 में शिवेसना में हुई पहली बहुचर्चित बगावत के बाद बागी विधायकों में भी छगन भुजबल व डॉ. राजेंद्र गोडे के साथ कांग्रेस के अन्य 5 मंत्रियों ने नागपुर में ही उपमंत्री पद की शपथ ली थी और तब पहली बार नागपुर में राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था. वहीं अब 33 वर्ष के बाद दूसरी बार नागपुर में मंत्रिमंडल का विस्तार होने जा रहा है.
बता दें कि, 5 दिसंबर 1991 को नागपुर में विधान मंडल का शीतसत्र जारी रहने के दौरान ही शिवसेना में पहली बगावत का महाभारत घटित हुआ था. एक साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 52 विधायक निर्वाचित हुए थे. वहीं कांगे्रस को 141 सीटों के साथ सत्ता मिली थी. ऐसे में नेता प्रतिपक्ष का पद शिवसेना के हिस्से में आया था. जिसके लिए शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे ने मनोहर जोशी का नाम सबसे आगे किया था. उसी दौरान मंडल आयोग का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित था और छगन भुजबल ने उसी मुद्दे को आधार बनाते हुए शिवसेना में बगावत की थी. उस बगावत को याद करते हुए अब राकांपा के नेता रहने वाले छगन भुजबल बताते है कि, पहले उनके साथ शिवसेना के करीब 36 विधायक थे. लेकिन बालासाहब के भय की वजह से आधे वापिस लौट गये और 18 विधायक ही साथ बचे. वहीं शिवसेना से प्रत्यक्ष बाहर निकलते समय यह संख्या 12 ही रह गई. जो एक इतियांश से कम थी. ऐसे में अपना विधायक पद गया, यह समझकर वे निराश भी हो गये थे. साथ ही बालासाहब और शिवसैनिकों के भय की वजह से छिपे हुए भी थे. क्योंकि उन सभी के लिए जान का खतरा भी था. हालांकि वे सभी जैसे तैसे बच गये और फिर उन्होंने अन्यों के साथ मंत्री पद की शपथ ली.
उल्लेखनीय है कि, नागपुर में वह मंत्रिमंडल विस्तार 21 दिसंबर 1991 को हुआ था और तब स्व. सुधाकरराव नाइक राज्य के मुख्यमंत्री थे. उस समय छगन भुजबल सहित बुलढाणा के डॉ. राजेंद्र गोडे, अमरावती की वसुधा देशमुख, आमगांव के भारत बाहेकर, ठाणे के शंकर नम, बीड के जयदत्त क्षिरसागर व धुलिया की शालिनी बोरसे इन 6 विधायकों को उपमंत्री के पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई गई थी. उस समय छगन भुजबल को राजस्व एवं डॉ. राजेंद्र गोडे को गृह विभाग का उपमंत्री गृह विभाग मिला था. जबकि छगन भुजबल की इच्छा खुद को गृह मंत्रालय की थी. परंतु वह मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास ही रहने की बात तत्कालीन सीएम सुधाकरराव नाइक ने कही थी. ऐसे में छगन भुजबल ने किसी समय मुंबई का महापौर रहने के चलते नगर विकास विभाग को अपनी दूसरी पसंद बताया था. लेकिन वह मंत्रालय सुशिलकुमार शिंदे के पास था. जिसके चलते भुजबल ने अपने समर्थकों से विचार विमर्श कर राजस्व मंत्रालय का जिम्मा स्वीकारा था, जो पहले शंकरराव कोल्हे के पास था.
* सभापति मधुकर चौधरी का ‘वह’ ऐतिहासिक फैसला
शिवसेना में हुई उस बगावत के संदर्भ में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष मधुकरराव चौधरी द्वारा दिये गये फैसले को ऐतिहासिक व महात्वपूर्ण बताते हुए छगन भुजबल याद करते है कि, उनके साथ आये विधायकों की संख्या 18 थी, जो शिवसेना के बागी गुट की मान्यता हेतु पर्याप्त भी थी. इसमें से आगे चलकर 6 लोग अलग हो गये. इसके बावजूद यह संख्या एक तृतीयांश से अधिक रहने के चलते कोई भी अप्राप्त साबित नहीं होता. ऐसा निर्णय विधानसभा अध्यक्ष चौधरी द्वारा दिया गया और सदन में जबर्दस्त हंगामा शुरु हो गया. उस दौरान शिवसेना के विधायक आक्रामक होकर अध्यक्ष के आसन तक पहुंच गये थे. जिसके चलते मधुकरराव चौधरी की जान के लिए खतरा पैदा हो गया था. इस स्थिति के बावजूद अपनी आसंदी पर मौजूद विधानसभा अध्यक्ष मधुकरराव चौधरी ने सख्त लहजे में कहा था कि, यदि आप मुझे मारना चाहते है, तो मार सकते है. लेकिन मैं अपना निर्णय नहीं बदलूंगा. इसके बाद चौधरी के इसी फैसले व हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने भी कायम रखा था.