एनएमआरडीए द्वारा कैन्सर इन्स्टिट्यूट का प्रकल्प रद्द!
मध्य भारत के कर्क रोगियों का उपचार धोखे में
नागपुर/दि.21- शहर के प्रस्ताविक कर्क रोग अस्पताल के निर्माणकार्य के लिए देरी से ही सही, नागपुर महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण ने (एनएमआरडीए) निविदा प्रक्रिया हाल ही में पूर्ण की थी. लेकिन अब एनएमआरडीए ने विविध कारण बताते हुए यह प्रकल्प ही रद्द किया है. साथ ही शासन को यह प्रकल्प अन्य यंत्रणा की ओर से चलाये जाने की सलाह दिये जाने के कारण मध्य भारत के कैंसर मरीज अद्यावत उपचार से वंचित रहेंगे.
मध्य भारत के कैसर पीड़ित मरीज बड़ी संख्या में मेडिकल में उपचारार्थ आते हैं. इन मरीजों के लिए शासन ने कई वर्ष पूर्व मेडिकल अस्पताल में कैंसर इन्स्टिट्यूट बनाने का प्रस्ताव पारित किया. तब से राज्य में तीन मुख्यमंत्री बदले. अब उद्धव ठाकरे चौथे मुख्यमंत्री हैं. लेकिन कैंसर इंस्टिट्यूट की समस्या हल नहीं हुई. राज्य में सर्वाधिक मुख कैंसर रुग्ण नागपुर एवं मध्य भारत में दिखाई देते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के काल में नागपुर में स्वतंत्र कैंसर इन्स्टिट्यूट की मांग सामने आयी.
दरमियान नेतृत्व बदली पश्चात पृथ्वीराज चव्हाण मुख्यमंत्री बने. उन्होंने नागपुर में राज्य कैंसर इन्स्टिट्यूट की घोषणा की. कालांतर ने फिर से सत्तांतर होकर नागपुरवासी देवेन्द्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने. उन्होंने भी प्रथम इन्स्टिट्यूट की घोषणा की. लेकिन उनके समय में भी इन्स्टिट्यूट औरंगाबाद में रेफर किया गया. पश्चात विधायक गिरीश व्यास व अन्यों ने इस संस्था का महत्व समझाने के बाद औरंगाबाद की तर्ज पर नागपुर में इन्स्टिट्यूट बनाने की घोषणा फडणवीस ने ही की. इस समय यंत्र खरीदी के लिए करोड़ों का निधि भी मिला. लेकिन इमारत के लिए निधि का अभाव था. यंत्र की निधि वापस न जाये, इसलिए वह हाफकीन के लिए इस्तेमाल किया गया. यह निर्माणकार्य एनएमआरडीए द्वारा करने की बात निश्चित हुई. इन 76 करोड़ के प्रकल्प को शासन ने प्रशासकीय मंजूरी भी दी थी. पश्चात हाल ही में एनएमआरडीए की ओड़ से निविदा प्रक्रिया पूर्ण करते हुए एक ठेकेदार भी निश्चित हुआ. लेकिन 6 जून 2022 को एनएमआरडीए ने उनके पास आवश्यक मनुष्य बल व निधि न होने की बात कहते हुए प्रकल्प ही रद्द कर दिया. विदर्भ के विविध जिलों सहित मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगना इन राज्यों के गंभीर कैंसर मरीज मेडिकल में उपचार के लिए आते हैं. फिलहाल यहां पर कालबाह्य कोबाल्ट सहित अन्य पुराने यंत्रों द्वारा ही मरीजों पर उपचार किया जाता है.
एनएमआरडीए के पास गुंठेवारी सहित अन्य काम भी हैं. जिसके चलते मनुष्यबल का प्रश्न है. इस पर मेडिकल प्रशासन को बार-बार अस्पताल के लिए निधि की मांग करने पर भी वह नहीं मिला. इसलिए ठेकेदार को पैसे कहां से दें,यह भी प्रश्न था. आखिरकार यह निविदा प्रक्रिया रद्द कर शासन को यह प्रकल्य अन्य यंत्रणा की ओर से चलाने की विनती की है.
– लीना उपाध्ये, अधीक्षक अभियंता,
नागपुर महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण.