विदर्भ

सहानुभूति के कारण नहीं सुना सकते सजा

हाईकोर्ट ने कहा ठोस सबूत आवश्यक

नागपुर/दि.10– बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने कहा कि, केवल सहानुभूति होने से किसी को सजा नहीं सुना सकते. रिकॉर्ड पर पुख्ता सबूत होने चाहिए. न्या. गोविंद सानप ने वाशिम जिले के एक रेप केस के आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया. उन्होंने फैसले में स्पष्ट कहा कि, कोर्ट को आरोपी के विरुद्ध मजबूत पुरावा नहीं मिला.
मंगरुलपीर तहसील अंतर्गत सिकंदर सोमसिंह चव्हाण (26) पर मुकबधीर अल्पवयीन छात्रा पर बलात्कार का इल्जाम था. घटना के अनुसार आरोपी ने 18 अप्रैल 2018 को रात 8.30 बजे पीडिता को उठाकर तबेले में ले गया और उससे रेप किया. घटना के समय आरोपी 21 वर्ष और पीडिता 17 वर्ष की थी. सत्र न्यायालय ने गत 25 मई 2022 को आरोपी को दोषी पाकर 10 वर्ष सश्रम कारावास और 5 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई थी. आरोपी ने निर्णय के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील की थी. उच्च न्यायालय ने वह अपील मंजूर कर शिक्षा खारिज कर दी. आरोपी की तरफ से एड. संतोष चांडे ने प्रभावी रुप से पक्ष रखा. कोर्ट ने फैसले में कहा कि, मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार लडकी को शारीरिक संबंध रखने की आदत थी. उसने कोई विरोध नहीं किया. वह विरोध करती, तो आरोपी उसे उठा नहीं सकता था. आरोपी के विरुद्ध शिकायत करने में दो दिन देरी की गई. उसी प्रकार लडकी के शरीर या गुफ्तांग पर कोई जख्मी नहीं पाया गया. जिससे आरोपी के विरुद्ध अपराध सिद्ध नहीं होता.

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