आदमखोर बाघिन को मारने के मामले का हुआ निपटारा
हाईकोर्ट में जांच की मांग करनेवाली याचिका थी दायर
नागपुर/दि.18– इससे पूर्व संबंधित सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए जरुरी आदेश दिए जाने से बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने आदमखोर बाघिन अवनी (टी-1) को जान से मारने के मामले की जांच और अन्य विभिन्न मांगे करनेवाली फौजदारी जनहित याचिका का बुधवार को निपटारा किया. नतीजे में 6 साल से लंबित इस मामले पर पूर्णविराम लग गया.
न्यायमूर्तिद्वय नितिन सांबरे व अभय मंत्री ने यह निर्णय दिया. यह याचिका मुंबई की अर्थ ब्रिगेड फाऊंडेशन ने दायर की थी. यवतमाल जिले के पांढरकवडा वनपरिक्षेत्र में इस बाघिन का अधिवास था. वन्यजीव (संरक्षण) कानून-1972, नार्कोटिक एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट-1985, इंडियन वेटरनरी कौंसिल एक्ट-1984, राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण द्वारा जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर और सर्वोच्च व उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर अवनी बाघिन को जान से मारने का आरोप याचिका में किया गया था. वहीं, इस मामले की विशेष दस्ते द्वारा जांच करने, बाघिन को मारने के लिए इस्तेमाल की गई बंदूके न्यायालय में जमा करने, बाघिन के दो बछडों को पकडकर उनका पूनर्वास करने, शिकारी शफत अली खान, असगर अली खान, मुखबिर शेख व पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ.बी.एम. कडू पर फौजदारी कार्रवाई करने की मांग की गई थी. वनविभाग के अनुसार इस बाघिन ने 13 महिला-पुरुषों का शिकार किया था. इसलिए उसे 2 नवंबर 2018 को बंदूक की गोलियों से मारा गया. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. सेजल लखानी और वनविभाग की ओर से अधि. कार्तिक शुकुल जबकि शिकारियों की ओर से अधि. मोहम्मद शरीफ व अधि. आदिल मिर्जा ने पैरवी की.