विदर्भ

मामले पहुंचे उच्च न्यायालय

सात महिला आश्रय गृहों का पंजीयन रद्द

  • विभाग के सचिव आयोग व अधिकारी से आठ हफ्ते में मांगा जवाब

प्रतिनिधि/ दि.११

नागपुर – विदर्भ के सात महिला आश्रय गृहों का पंजीयन रद्द करने के मामले में प्रदेश के महिला व बालविकास विभाग के खिलाफ मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ में सात याचिकाएं दायर की गई है. लिगल लिट्रेसी मुमेंट फॉर ह्युमन और अन्य छह याचिका पर सोमवार को उच्च न्यायालय ने राज्य महिला व बालविकास विभाग सचिव, आयोग व जिला महिला व बालविकास अधिकारी को नोटीस जारी कर आठ हफ्ते के अंदर जवाब देने के आदेश दिये है. याचिकाकर्ता की ओर से एड.आनंद परचुरे, एड.ओंकार देशपांडे, एड.राम येडा व देवदत्त देशपांडे ने पैरवी की. परिजनों व्दारा त्यागी गई निराश्रीत महिलाओं व लडकियों को आश्रय देने के लिए जिले-जिले में आश्रय गृह बनाने की योजना केंद्र सरकार ने वर्ष १९८९ में लागू की थी. इसे स्वाधार योजना का नाम दिया गया. इसे राज्य सरकार व्दारा लागू किया जाता है. केंद्र व राज्य सरकार व्दारा आश्रय गृह को अनुदान दिया जाता है. याचिकाकर्ताओं के आश्रय गृह इसी योजना के तहत संचालित हो रहे थे. २०१६ को उन्हें अपनी संस्था के नाम से प्रस्ताव भेजने को कहा गया. जब उन्होंने प्रस्ताव भेजे तो उन्हें नामंजूर किया गया. आश्रय गृह में रहने वाली महिलाओं को दूसरे आश्रय गृह में स्थानांतरित करने के निर्देश जारी किये गए. जिससे याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी है.

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