विदर्भ

जाति पडताल समिति को 50 हजार का जुर्माना

दस्तावेज वैध रहने पर भी किया था खारिज

* उच्च न्यायालय की कार्रवाई
नागपुर/दि.13– वैद्यकिय पाठ्यक्रम के छात्र को अनुसूचित जनजाति का जातिवैधता प्रमाणपत्र देने से इनकार करने से मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने गोंदिया के जाति पडताल समिति के सदस्यों पर 50 हजार रुपए का जुर्माना ठोंका है. सभी दस्तावेज रहने के बाद भी प्रमाणपत्र नहीं देने से न्यायालय ने जुर्माने वसुलने का निर्णय लिया. जुर्माने की रकम समिति के सदस्यों को चार सप्ताह में जमा करनी होगी. न्यायाधीश अविनाश घरोटे और न्यायाधीश मुकुलिका जवलकर के खंडपीठ ने यह आदेश दिया है.

श्रेयस अजय घोरमारे (17) यह याचिकाकर्ता छात्र का नाम है. वह नागपुर शासकीय वैद्यकिय महाविद्यालय व अस्पताल में वैद्यकिय अभ्यासक्रम के प्रथम वर्ष में शिक्षा प्राप्त कर रहा है. श्रेयस के पिता और बहन के पास माना अनुसूचित जनजाति का कास्ट वैलिडीटी प्रमाणपत्र है. श्रेयस के परदादा और दादा का 1914, 1916 और 1943 का दिया माना अनुसूचित जनताति का जाति वैधता प्रमाणपत्र भी उसके पेश किया था. श्रेयस के पास 16 करीबियों के कास्ट वैलिडिटी प्रमाणपत्र होने पर भी जांच समिति ने श्रेयस को प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया. समिति ने श्रेयस ने पेश किए स्वाधीनतापूर्व के पुराने दस्तावेजों की ओर अनदेखी कर यह दस्तावेज ध्यान ने लेकर उसका जाति वैधता प्रमाणपत्र का दावा खारिज किया. कोर्ट ने जाति वैधता प्रमाणपत्र समिति की इस कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न उपस्थित किया. हाईकोर्ट ने इस प्रकरण में समिति पर 50 हजार रुपए का जुर्माना ठोकने का निर्णय लिया. याचिकाकर्ता श्रेयस को चार सप्ताह में माना अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र देने के आदेश भी समिति को दिए. याचिकाकर्ता की ओर से एड.राम परसोडकर ने पक्ष रखा.

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