सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी केंद्र ने नहीं की अमल
सेवानिवृत्त पेंशन धारक अधिकार से वंचित
वर्धा/दि.8 – सेवानिवृत्त पेंशनधारक व कार्यरत कर्मचारी की फर्क की रकम पेंशन फंड में जमा कर सकते है. इसमें कोई भी कट ऑफ डेथ नहीं.वह कभी भी फर्क की रकम भरकर पूरे वेतन पर पेंशन पाने के लिए पात्र हो सकते है, ऐसा फैसला सर्वोच्च न्यायालय ने 4 अक्तूबर 2016 को सुनाया. फिर भी केंद्र सरकार के भविष्य निधि संगठन (केंद्रीय श्रम मंत्रालय) ने किस और कहा के आदेश से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर अमल करना बंद किया. यह वेतन धारकों को अब तक समझ में नहीं आया. वे अपने लाभ से वंचित है. इस बारे में न्याय देने की मांग निवृत्त कर्मचारी समन्वय समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश येंडे ने की है.
अदालत के फैसले के बाद उसे आदेश पर अमल करने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 23 मार्च 2017 को पत्र जारी कर आदेश पर अमल करने के आदेश दिये व 27 हजार कर्मचारियों को उनके पूर्ण वेतन पर पेंशन का लाभ देकर कोई भी कानूनी कारण नहीं होने पर अमल रोक दिया. वह कर्मचारियों को उनके पूर्ण वेतन के अनुसार दिये लाभ वापस लिये. न्यायालय ने दिये सिविल अपील स्पेशल लिव पिटीशन नंबर 33032/33033 के अनुसार इस फैसले के विरोध में किसी ने भी चैलेंज नहीं किया, इसी तरह 67 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारी व 17 करोड कर्मचारी के रुप में फैसला सुनाने के बाद करीब 5 वर्ष पश्चात भी इसे शुरु नहीं किया गया. 67 लाख में से 20 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारी को 1 हजार रुपए के अंदर पेंशन मिल रही है. वेतन से काटे गए पेंशन फंड बडे पैमाने पर होने के बाद भी जिंदा रहने वाले कर्मचारियों की मृत अवस्था रहने जैसे स्थिति हो गई है. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व सरन्यायाधिश सेवानिवृत्त कर्मचारियों की समस्या जानकर कम से कम 9 हजार रुपए पेंशन व महंगाई भत्ता दिया जाए, ऐसी मांग की गई.