विदर्भ

स्मार्ट मीटर के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकार से जवाब तलब

नागपुर हाईकोर्ट ने दायर जनहित याचिका पर नोटिस जारी

नागपुर /दि.17– महाराष्ट्र सरकार के उर्जा विभाग और महावितरण द्वारा शुरु की गई स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया को रोकने के निर्देश देने की मांग को लेकर मुुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई है. इस मामले में बुधवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के विद्युत एवं उर्जा मंत्रालय के प्रधान सचिव, विद्युत मंत्रालय की नोडल एजेंसी, पावर फाइनंस कार्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, राज्य के उर्जा विभाग के प्रधान सचिव और एमएसईडीसीएल मुख्य अभियंता को नोटिस जारी करते हुए तीन सप्ताह में जवाब दायर करने के निर्देश दिये है.
यवतमाल के विदर्भ विद्युत ग्राहक संगठन के अध्यक्ष प्रशांत दर्यापुरकर ने इस मुद्दे पर नागपुर खंडपीठ में यह जनहित याचिका दायर की है. इस याचिका पर बुधवार को न्यायमूर्ति नितिन सांबरे और न्यायमूर्ति वृशाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई. याचिका के अनुसार केंद्रीय उर्जा मंत्रालय, राज्य सरकार और महावितरण उपभोक्ताओं पर जबरदस्ती प्रीपेड इलेक्ट्रीक स्मार्ट मीटर लगाने के लिए दबाव डाल रहे है, जो पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि, कोई अधिकृत समिति यह तय नहीं कर पायी है कि, प्रीपेड स्मार्ट मीटर जरुरी है या नहीं और न ही पुराने दोषपूर्ण मीटरों पर कोई रिपोर्ट उपलब्ध है, ऐसी स्थिति में पहले से कार्यरत मीटरों को बदलना फिजूल खर्चा है.

* अनिवार्य न किया जाये
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि, इस योजना के तहत केंद्र सरकार 60 फीसद अनुदान प्रदान कर रही है. जबकि 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा दी जा रही है. इस योजना के वित्तीय प्रबंधन और पारदर्शिता को लेकर भी संदेह व्यक्त किया गया है. इसलिए याचिकाकर्ता ने मांग की है कि, राज्य सरकार के उर्जा विभाग और महावितरण को स्मार्ट मीटर लगाने के लिए बाह्य न किया जाये, यदि किसी विशेषज्ञ समिति की कोई रिपोर्ट उपलब्ध हो, तो उसे भी न्यायालय ने प्रस्तुत करने का आदेश दिया जाये. इस मामले पर पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नीति से संबंधित जानकारी और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ सुधारित याचिका प्रस्तुत करने का आदेश दिया था.

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