विदर्भ

वैद्यकीय परीक्षा आफलाईन लेने के निर्णय को चुनौती

उच्च न्यायालय में याचिका, कोरोना होने का भय

नागपुर/प्रतिनिधि दि.५ – पदवी, पदव्युत्तर व प्रमाणपत्र वैद्यकीय पाठ्यक्रम की २०२० की शीतकालीन परीक्षा आफलाईन लेने के निर्णय को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी गई है. इस मामले पर शुक्रवार न्यायमूर्ति अविनाश घरोटे के समक्ष सुनवाई हुई. उसके बाद उन्होंने आवश्यक आदेश देने के लिए शनिवार को अगली सुनवाई निश्चित की.
विवादग्रस्त निर्णय के खिलाफ हुई फाउंडेशन के व्यवस्थापकीय संचालक डॉ. अमोल देशमुख व फिजिओथेरपी पाठ्यक्रम के विद्यार्थी नीतेश तानतरपले ने जनहित याचिका दाखिल की है. महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान महाराष्ट्र्र विद्यापीठ ने १९ मई २०२१ को विवादग्रस्त निर्णय की अधिसूचना जारी की है. उसनुसार १० से ३० जूनतक ऑफलाईन परीक्षा ली जायेगी. राज्य के लगभग ४५ हजार विद्यार्थी प्रत्यक्ष रूप से परीक्षा केन्द्र पर जाकर ही परीक्षा देंगे. जिसके कारण उन्हें कोरोना संक्रमण होने का भय है. इसका विचार न कर विवादग्रस्त निर्णय जारी किया गया, ऐसा याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय में बताया.
इसके अलावा याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार नागरिको के प्राणों की रक्षा करने की टालने का आरोप किया है. परीक्षा दौरान कोरोना का संक्रमण होने पर उसे सरकार व विद्यापीठ जिम्मेदार नहीं रहेगी,ऐसा विद्यार्थियों की ओर से लिखा गया है. संविधान के अनुसार यह कृति पूरी तरह गैर कानूनी है, ऐसा याचिकाकर्ताओं ने कहा है. तथा विद्यार्थियों को परीक्षा का प्रवेश पत्र विलंब से दिया जाए. और आफलाईन परीक्षा के खिलाफ प्रस्तुत किए गये निवेदन पर विद्यापीठ ने कोई भी निर्णय नहीं लिया. इस ओर न्यायालय ने ध्यान आकर्षित किया. याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. राहुल भांगडे ने कामकाज देखा.

  • परीक्षा ऑफलाईन लेना हो तो सभी का हो टीकाकरण ऐसी मांग

आफलाईन निर्णय रद्द करके परीक्षा ऑनलाइन ली जाए. ऐसी विनती याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से की है. उसी प्रकार परीक्षा आफलाईन लेना हो तो सभी विद्यार्थी, शिक्षक व सहायक कर्मचारियों का टीकाकरण किया जाए.ऐसी मांग की है. देश में कोरोना संक्रमण के कारण तीन लाख नागरिको की जान गई है. जिसके कारण विविध प्राधिकरण से परीक्षा आगे धकेली गई है अथवा ऑनलाईन ली गई है. ऐसी जानकारी याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय को दी है.

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