अवैध विवाह से जन्मी संतान भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार
बॉ बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ का फैसला
नागपुर/ दि. 5-बॉबे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अवैध विवाह से जन्मी संतान को भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र माना है. हाईकोर्ट ने वर्धा जिला परिषद के फैसले को खारिज करते हुए एक मामले में आर्वी के 18 वर्षीय युवक को नियुक्ति देने पर 8 सप्ताह में दोबारा फैसला करने के आदेश दिए है. दरअसल यह इस युवक के माता के साथ उसके पिता ने दूसरा विवाह किया था.पिता का पहला विवाह तब भी अस्तित्व में था. ऐसे में कानून की नजर में दूसरा विवाह अवैध था. पिता वर्धा जिला परिषद में कार्यरत थे.वर्ष 2023 में नौकरी के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई थी. नियमानुसार परिवार के वारिस को अनुकंपा नियुक्ति मिलनी थी. याचिकाकर्ता ने इसी के तहत वर्ष 2017 में नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजा, लेकिन जिला परिषद ने यह कह कर दावा खारिज कर दिया कि उसके माता-पिता का विवाह वैध नहीं था. इसके बाद युवक ने हाईकोर्ट की शरण ली.
हिंदू उत्तराधिकार कानून में महिला कर्ता नहीं
हिंदू परिवार के घर में कर्ता (मुखिया) के निधन के बाद परिवार में अगर मृतक के विधवा और बालिग बेटे हो, तो क्या वह महिला अपनी मर्जी से संपत्ति बेच सकती है, कानून के इस जटिल पेंच पर बॉ बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने निर्णय दिया है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिंदू उत्तराधिकार कानून में किसी महिला के परिवार का कर्ता होने का कोई उल्लेख नहीं है. लेकिन अगर महिला अपने बालिग बेटों मेंं से किसी एक के साथ मिलकर संपत्ति बेचती है तो उस बिक्री को सही माना जायेगा. दरअसल निचली अदालत ने माना था कि हिंदू अविभक्त कुटुंब अधिनियम के अनुसार मां परिवार की कर्ता थी. ऐसे में उसके द्वारा बेची गई संपत्ति कानून की नजर में वैद्य थी. वही दूसरे खरीदार का तर्क था कि महिला परिवार की कर्ता नहीं थी. उसके बेटे बालिग थे और नियमानुसार उन्हें संपत्ति बेचने का हक था. ऐसे में यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा.