विदर्भ

चीन की मांग कम, स्थानीय उत्पाद पसंद

अब स्वदेशी वस्तुओं का दबदबा

12 हजार करोड का कारोबार
नागपुर दि.22– दिवाली की रौनक से बाजार दमक उठे है. रात देर तक मार्केट में चहल-पहल दिख रही है. खरीदी जोरदार हो रही है. इस बार चीन से आयातीत वस्तुओं की तुलना में स्वदेशी वस्तुएं अधिक पसंद की जा रही है. बाजार सूत्र कह रहे है कि, स्वदेशी चीजों का बोलबाला हैं. ग्राहकों में आयी जागरुकता हर कोई रेखांकित कर रहा है. मेड इन इंडिया लाइटींग से लेकर सजावट की वस्तुएं और खेल-खिलौने भी भारत निर्मित पसंद किये जा रहे है. मोटे तौर पर विदर्भ में इसका 12 से 13 हजार करोड का बिजनेस होने का अंदाजा कैट के बी.सी. भरतीया ने व्यक्त किया है.
* भारतीयता को बढावा
गलवान संघर्ष के बाद चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का आवाहन सभी ने किया था. पिछले दिवाली पर कोरोना इफेक्ट था. इस बार ही त्यौहारों की खुल कर मौज-मजा हो रही है. ऐसे में व्यापारी और ग्राहक संगठनों द्बारा की गई जागरुकता असर दिखा रही है. लोग भारतीय उत्पादों को वरियता दे रहे हैं. लाइटींग में चीन का एकाधिकार मानों इस बार खत्म कर दिया गया है. 1 हजार करोड के बाजार में चीन का दबदबा कम करने स्थानीय उत्पादक काम कर रहे है.
* मेड इन इंडिया का सुपरिणाम
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतीया ने कहा कि, प्रति वर्ष स्वदेशी वस्तुओं की विक्री हेतु अभियान चलाना पडता. इस बार उसकी आवश्यकता भी नहीं पडी. लोगों ने मेड इन इंडिया को बढिया रिस्पान्स दिया है. देश में गुणवत्तापूर्ण स्वदेशी उत्पादन उपलब्ध होने से ग्राहकों में उत्सुकता नजर आयी. बडे प्रमाण में लोगों ने आकाश दीये, लाइटींग, तोरण, कृत्रिम फूल-पत्ती, इलेक्ट्रीक दीये, रंग बदलने वाले और डीम होने वाली लाइटींग की खरीदी की है.
* जागरुकता का असर
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सदस्य धनंजय भिडे ने कहा कि, ग्राहकों में स्वदेशी और लोकल उत्पादों के विषय में जागरुकता बनी है. दिवाली निमित्त ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले मात्र 5 प्रतिशत होने से उसका असर नहीं हुआ है. बाजारों में लोग खुद देख चुनकर वस्तुएं खरीद रहे हैं.

 

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