विदर्भ

‘सिनेमा 40 हजार साल पुराना’

समीक्षक अमृत गांगर ने दी जानकारी

नागपुर/दि.25– यह लगातार कहा जाता है कि सिनेमा का जन्म उन्नीसवीं सदी के अंत में हुआ था. हालांकि, सिनेमा एक चलचित्र है. मोशन पिक्चर अर्थात एक चलती हुई वस्तु का एक रेखाचित्र है. मानव द्वारा ऐसा प्रयास करने का पहला प्रमाण नक्काशी है. दुनिया भर के विभिन्न स्थानों में पाए जाने वाले प्राचीन नक्काशी कला का पैटर्न फिल्मों का ही रूप हैं. यह कला 40 हजार साल पुरानी रहने से सिनेमा भी 40 हजार साल पुराना है, ऐसा वरिष्ठ फिल्म समीक्षक व अभ्यासक अमृत गांगर ने कहा. शुक्रवार को प्रेस क्लब ऑफ नागपुर द्वारा आयोजित किए अंतरराष्ट्रीय सिनेमा इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते समय वे बोल रहे थे.

मनुष्य के मस्तिष्क में चलचित्र 40 हजार पहले से है. जैसे ही उन्हें यह बात समझ में आई तो उन्होंने नक्काशी कला में इसका प्रदर्शन किया. नक्काशी कला में अधिकांश चित्रण पालतू या अन्य जंगली जानवरों के हैं. इसलिए तभी से मनुष्य को चलचित्रों की समझ आई ऐसा कहा जा सकता है. फिल्म की तरफ देखते समय केवल स्क्रीन तक सीमित दृष्टिकोन न रखे, ऐसा गांगर ने कहा. कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रदीप मैत्र ने रखी.

* संगीत प्रेमियों की बदौलत इतिहास जीवित
पहली फिल्म ‘आलम आरा’ की कॉपी हमारे पास नहीं है. ऐसी फिल्मों से जुड़े कई दिलचस्प किस्से वक्त के साथ खो गए हैं. हालांकि, मुझे अपने विभिन्न शोधों के लिए संगीत प्रेमियों से बहुत मदद मिली. पुराने संगीत और पुराने गीतों की कई मूल रिकॉर्डिंग संगीत प्रेमियों द्वारा संरक्षित की गई हैं और उनके पास बताने के लिए कई कहानियां भी हैं. अभ्यासक अमृत गांगर ने कहा कि, इन संगीत प्रेमियों की वजह से आज बहुतसा इतिहास जीवित है.

* एआई का नहीं अपने दिमाग का प्रयोग करें
1958 में नॉर्मन मैकलैरेन द्वारा निर्मित यह फिल्म एनीमेशन फिल्मों की श्रेणी में एक क्लासिक फिल्म है. भारत में ऐसी कोई फिल्म नहीं बन सकी. इस फिल्म के लिए उन्होंने जिस सरलता का इस्तेमाल किया वह आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के दौर में दिखाई नहीं देता. वास्तविक रूप से देखा जाए तो एआई के दम पर गुणवत्ता बढनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है. अमृत गांगर ने कहा, इसलिए फिल्म छात्रों को एआई का नहीं बल्कि अपने दिमाग का इस्तेमाल करने की जरूरत है.

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