नागपुर प्रतिनिधि/दि.12 – एक ही परिवार के दो विभक्त परिवार में दिवानी विवाद में निर्माण हुए फौजदारी मामले यह समाज के लिए घातक नहीं है. इस मामलों में मुंबई पुलिस कानून की धारा 55 के अनुसार कार्रवाई कर एक ही परिवार के सदस्यों को सीधे तडीपार करना संयुक्तिक नहीं है. इस तरह का निरीक्षण नोंद करते हुए मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने बाप, बेटे की तडीपारी रद्द करने के आदेश दिये है. न्यायामूर्ति एस.बी. शुक्रे व न्यायमूर्ति घरोटे की व्दी सदस्यीय पीठ ने यह आदेश दिये है. अकोला जिले के पातुर स्थित मोहन दामोधर राऊत धिरज दामोधर राऊत और दामोधर किसन राऊत यह इस मामले के याचिकाकर्ताओं के नाम है.
दामोधर का सगे छोटे भाई के साथ संपत्ति को लेकर विवाद है. दिवानी न्यायालय में यह मामला न्यायप्रविष्ठ है. इसपर दोनों परिवार में विवाद होता है. दामोधर के भाई ने उनके खिलाफ पुलिस में अनेक शिकायतें दी है. दामोधर, धिरज व मोहन पर अनेक मामलों में फौजदारी अपराध दर्ज है. किंतु अकोला अधिक्षक ने तीनों पर मुंबई पुलिस कानून की धारा 55 के तहत कार्रवाई कर उन्हें अकोला जिले से तडीपार करने के आदेश जारी किये है. मोहन व धिरज ने इस आदेश को इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है तथा दामोधर ने भी स्वतंत्र याचिका दाखिल की है. एड.संदीप नंदेश्वर, एड.डी.एस.पाटिल, एड.रुपाली राऊत ने हाईकोर्ट में आरोपियों का पक्ष रखा. यह तीनों एक ही परिवार के है. उनपर दाखल हुए अपराध यह मूलत: दिवानी मामले से मुंबई पुलिस कानून की धारा 55 के तहत समाज को धोकादायक रहने वाला, अपराधिक प्रवृत्ति का रहने वाला और कई बार समझ देने के बावजूद जिसमें सुधार नहीं होता ऐसे एक पर अथवा ऐसे अनेकों पर तडीपारी की कार्रवाई करने की व्यवस्था है. किंतु इन तीनों ने टोली तैयार कर समाज को धोका पहुंचेगा, ऐसी कोई भी हरकत करने के ठोस सबूत नहीं है. जिससे इस मामले में उन्हें तडीपार करना संयुक्तिक नहीं, इस तरह का निर्णय हाईकोर्ट ने दिया व तडीपारी का आदेश रद्द किया.