विदर्भ

जलवायु परिवर्तन से खेती बाड़ी पर असर

शासन कराएगी अध्ययन, प्रारुप में होंगे विशेषज्ञ

जलगांव/दि.11– जलवायु परिवर्तन से सरकारी काम में असर होने पर राज्य सरकार सावधान हो गई है. इस परिवर्तन का खेती सहित मनुष्य पर हुए परिणाम का जिलानिहाय अध्ययन किया जाएगा. तज्ञ एवं अधिकारियों के सहयोग से जिलानिहाय लेखाजोखा तैयार किया जाएगा. सभी जिलों को मिलाकर राज्यस्तरीय लेखाजोखा तैयार होगा, इसमें तज्ञों द्वारा सरकार को कुछ उपाययोजना भी सुझाई जाएगी.
जलवायु परिवर्तन से खेती व्यवसाय संकट में आ गया है. इसका दूरगामी परिणाम होने वाला है. इस पर आश्रित रहने वाले मनुष्य बल को उपजीविका में बाधा निर्माण हो रही है. कही संततधार बारिश तो कही पर एक बूंद भी बारिश नहीं, ऐसा अनुभव आ रहा है. किसानों को भरपाई देने पर ही सरकार का जोर होने से उसका भार तिजोरी पर पड़ रहा है. ऐसी भरपाई और कितने साल दी जाएगी,इस बारे में शंका व्यक्त की जा रही है. इसके लिए कोई हल निकालने का प्रयास किया जा रहा है. इस उद्देश्य से ही अध्ययन के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. सरकारी घोषणा प्रत्यक्ष में आने पर आगामी काल में वातावरण के परिवर्तननुसार खेती के यंत्र किसानों को मिल सकेंगे. क्योंकि राज्यस्तर पर वातावरणीय कृति कक्ष की स्थापना करने हेतु शासन ने मंजूरी दी है. उपजिजलाधिकाीर दर्जे के अधिकारियों सहित 6 ठेका तज्ञों को इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी. यह कक्ष राज्य के वातावरण परिवर्तन की जानकारी संकलित कर उपाययोजना करने के लिए सरकार को सुझाव देगा. वातावरण परिवर्तन बाबत नागरिकों में भी जागृति की जाएगी.
पर्यावरण विभाग के नाम पर पर्यावरण व वातावरणीय परिवर्तन विभाग ऐसा परिवर्तन किया गया है. राज्य मौसम कृति लेखाजोखा सन 2014 में तैयार किया गया था. यह लेखाजोखा सुधारने की कार्यवाही अंतिम चरण में शुरु है. मंत्रालय स्तर की यंत्रणा द्वारा पर्यावरण विषयक विविध अधिनियमों को अमल में लाया जा रहा है. विभाग के नाम बदलने के पश्चात वातावरणीय परिवर्तन अनुकूल नियोजन को अमल में लाने के लिए स्वतंत्र अधिकारी व कर्मचारी नहीं थे. इसके लिए इस कक्ष निर्मिती को मंजूरी दी गई. अधिकारी व तज्ञों के पद कुछ समय के लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के स्तर पर निर्माण किए जाएंगे. वेतन, मानधन व भत्ता प्रदूषण नियंत्रण मंडल की निधि से दिया जाएगा.
* तीन बातों पर ध्यान केंद्रित
स्थापित किया गया कक्ष वातावरणीय परिवर्तन की कृति में आने वाली दिक्कतें, अनुकूलन एवं उसका समाधान इन तीन मुख्य बातों पर ध्यान केंद्रित करेगा. राष्ट्रीय वातावरणीय कृति लेखाजोखा, राज्य वातावरणीय कृति लेखाजोखा को अमल में लाने के लिए संंबंधित विभाग, स्थानिक स्वराज्य संस्थाओं को मार्गदर्शन व अमल मेें लाने बाबत देखरेख करेगा. केंद्र शासन, स्थानिक स्वराज्य संस्था, स्वयंसेवी संस्था, पर्यावरण ेस संबंधित संशोधन एवं विकास संस्था से समन्वय रखेगा. जिला कृति लेखाजोखा को अमल में लाने पर ध्यान देगा. राज्य का हरित उपक्रम शुरु करने हेतु समन्वय साधेगा.
* सघन, सुक्ष्म अभ्यास होना आवश्यक ः प्रा. एस.टी. इंगले
जलवायु परिवर्तन यह अनेक क्षेत्रों पर दूरगामी परिणाम करे वाला संकट है. इसलिए केंद्र व राज्य शासन ने उसके अध्ययन के लिए प्रयास शुरु किए हैं. लेकिन यह अध्ययन सखोल, सुक्ष्म रुप से होना आवश्यक है. यह जानकारी पर्यावरण शास्त्र प्रशाला के पूर्व संचालक, बहिणाबाई चौधरी उत्तर महाराष्ट्र विद्यापीठ के प्र-कुलगुरु एस.टी. इंगले ने दी.
* यह पद करेंगे निर्माण
संचालक, राज्य वातावरणीय कृति कक्ष, वातावरणीय वित्त तज्ञ, वातावरणीय शमन तज्ञ, वातावरणीय अनुकूल तज्ञ, प्रकल्प सलाहगार.

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