विदर्भ

पीओपी मूर्ति प्रतिबंध नीति के लिए मुख्य सचिव के नेतृत्व में समिति

मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने दी जानकारी

नागपुर/दि.8– देवी-देवताओं की मूर्ति, ताजीया आदि की पर्यावरणपूरक निर्मिती, विसर्जन आदि पर अमल करने के संदर्भ में अंतिम नीति तैयार करने के लिए राज्य सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की है. सरकार ने सोमवार को मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ में यह जानकारी दी.
देवी-देवताओं की पीओपी मूर्ति, ताजीया आदि के कारण जलाशय प्रदूषित न होने के लिए नियम लागू करने के आदेश अदालत ने 13 जुलाई 2022 को दिए थे. साथ ही 12 अगस्त 2022 को इसके लिए समिति गठित करने कहा था. इसके मुताबिक सरकार ने प्रशासकीय व तकनीकी समिति गठित की थी. इस समिति में नियम का मसौदा तैयार किया है. 17 मई 2023 को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा की गई. पश्चात अंतिम नीति तैयार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित करने का निर्णय लिया गया. फिलहाल राज्य में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के मार्गदर्शक तत्वों पर अमल किया जा रहा है, ऐसा भी अदालत में कहा गया.

* ऐसे है समिति के पास जिम्मेदारी
– देवी-देवताओं की मूर्ति पर्यावरणपूरक करने के लिए संशोधन करना और सरकार को तीन माह में प्राथमिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना.
– तकनीकी समिति व्दारा प्रस्तुत की गई कच्ची नीति पर पुनर्विचार करने और राज्य सरकार को आवश्यक सिफारिश प्रस्तुत करना.

* आगामी सुनवाई 4 सितंबर को
अदालत ने इस संदर्भ में 2021 में खुद ही जनहित याचिका दायर की है. इस पर न्यायमूर्ति अतुल चांदुरकर और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई. पश्चात अदालत ने सरकार का शपथपत्र रिकार्ड पर लेकर याचिका पर 4 सितंबर को आगे की सुनवाई निश्चित की. एड. श्रीरंग भंडारकर ने न्यायालय मित्र के रुप में कामकाज देखा.

Related Articles

Back to top button