पुराने कानून के तहत संपादित जमीन का मुआवजा ‘नया’
हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, मोर्शी को 39 जमीन मालिकों को राहत

नागपुर/दि.17– मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए पुराने कानून अंतर्गत संपादित की गई जमीन के लिए नए कानून के अनुसार मुआवजा अदा करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है. जिसके चलते 39 पीडित जमीन मालिकों को काफी राहत मिली है.
इस मामले को लेकर मिली जानकारी के मुताबिक अमरावती जिले की मोर्शी तहसील अंतर्गत बांध के निर्माण हेतु सन 1894 के पुराने अधिनियमानुसार जमीन संपादित की गई थी. जिसके लिए 25 जनवरी 2012 को इस अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत अधिसूचना जारी की गई थी. परंतु मुआवजे का अवॉर्ड नया कानून लागू होने के बाद यानी 23 जनवरी 2015 को जारी किया गया था और मुआवजे की रकम तय करते समय पुराने कानून के अनुसार 25 जनवरी 2012 को रहनेवाले जमीन के मूल्य को ग्राह्य माना गया था. इसके परिणामस्वरुप त्र्यंबक उमाले व अन्य पीडित जमीन मालिकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसमें कहा गया कि, समूचे देश में 1 जनवरी 2014 से नया भूसंपादन कानून लागू किया गया है और याचिकाकर्ता भूधारकों की जमिनों के मुआवजे का अवॉर्ड इसके बाद जारी हुआ है. जिसके चलते इस मामले में मुआवजा निश्चित करते समय नए कानून के अनुसार 1 जनवरी 2014 को रहनेवाले जमीन के मूल्य पर विचार किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे में तथ्य पाए जाने के चलते अदालत ने इस याचिका को सुनवाई हेतु मंजूर किया. साथ ही राज्य सरकार को 6 माह की मुदत देते हुए कहा कि, 1 जनवरी 2014 को रहनेवाले मूल्य के अनुसार जमीन का मुआवजा निश्चित कर वह मुआवजा संबंधित जमीन मालिकों को आगामी 6 माह के भीतर अदा किया जाए.
इस मामले को लेकर न्या. नितिन सांबरे व न्या. वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई. इस समय याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. प्रदीप क्षीरसागर ने पैरवी की.