संघर्ष ही मनुष्य को समृध्द बनाता है- सिंधुताई सपकाल
महात्मा गांधी आंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में सपकाल का सत्कार
वर्धा/प्रतिनिधि दि.२१ – हिन्दु विश्व विद्यालय में आने से मुझे ऐसा लगता है कि मैं अपने माता-पिता के घर आयी हूँ. मैंने पुस्तको से नहीं जीवन में आए अनुभव से सीखा है. संघर्ष ही मनुष्य को समृध्द बनाता है. ऐसा मत अनाथालय की माई सिंधुताई सपकाल ने व्यक्त किया.
अनाथालय की माई सुपरिचित पद्मश्री सिंधुताई सपकाल का महात्मा गांधी आंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय कुलगुरू प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल की ओर से सत्कार किया गया. विश्वविद्यालय में सपकाल के आगमन निमित्त उन्होंने विश्वविद्यालय के अध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थियों से ऑनलाईन व ऑफलाईन से संवाद साधा. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विद्या भवन के दत्तोपंत ठेंगडी सभागृह में आयोजित संवाद कार्यक्रम में उन्होंने अपने जीवन में आनेवाले संघर्ष का उल्लेख किया. माई सिंधुताई ने क्षमा और प्रेम का महत्व बताया. भूखमरी का हम सामना करते है तभी हमें दूसरों की भूख का अंदाज होता है. सामाजिक संवेदना व नि:स्वार्थ भावना से सभी के प्रति प्रेम व करूणा यही जीवन का मूलमंत्र है. ऐसा उन्होंने कहा. इस अवसर पर सिंधुताई ने बहिनाबाई चौधरी के गीत भी गाए. इस कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो.रजनीश कुमार शुक्ल थे. उन्होंने भारतीय परंपरा में मातृत्व की महिमा और संत परंपरा की चर्चा की.
इस अवसर पर शुक्ल ने स्त्री अध्ययन विभाग द्वारा सिंधुताई पर किए गये लघु शोध प्रबंध की एक प्रति सिंधुताई को दी. संचालन स्त्री अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुप्रिया पाठक ने किया. आभार अध्ययन केन्द्र के सहायक प्रोफेसर डॉ.शिव सिंह बघेल ने माना.