विदर्भ

सोनिया-राहुल को लेकर कांग्रेस की गुटबाजी फिर उजागर

गांधी परिवार के समर्थन में बोलने लगे मंत्री

  • वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र भी लिखा है

नागपुर प्रतिनिधि/दि.२६ – कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर नए सिरे से चर्चा छिड गई है. इसके साथ ही गुटबाजी भी सामने आने गली है. अध्यक्ष सोनिया गांधी (Chairman Sonia Gandhi) व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर जिस तरह से बहस हो रही है, उससे लगता है कि, राज्य व विदर्भ में भी कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति हलचल मचाएगी. खास बात है कि गांधी परिवार के समर्थन में विदर्भ से कांग्रेस के मंत्रियों के बयान सामने आने लगे हैं. गौरतलब है कि, कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा है. उसमें राज्य से मुकुल वासनिक, पृथ्वीराज चव्हाण व मुरली देवरा भी शामिल है. नए नेतृत्व पर निर्णय शीघ्र करने की मांग भी उठने लगी है.
राज्य व विदर्भ में भी कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति हलचल मचाएगी प्रदेश के ३ नेताओं के विरोध में बयान : इस मामले को लेकर कांग्रेस नेताओं के विविध बयान सामने आ रहे हैं. यह भी कहा जा रहा है कि, कांग्रेस में नेतृत्व के लिए गांधी परिवार के रहते किसी का नाम भी नहीं लिया जाना चाहिए. नए नेतृत्व की बात करनेवाले राज्य के ३ नेताओं के विरोध में भी बयान आने लगे हैं. कहा गया है कि, ये नेता शर्मनाक प्रयास करने लगे हैं. इन नेताओं को माफी मांगना चाहिए.
महिला व बाल कल्याण मंत्री यशोमति ठाकुर ने भी ट्वीट कर गांधी परिवार का समर्थन किया है. उन्होंने लिखा है- गांधी ‘इज नॉट ए फैमिली, इट्स डीएनए ऑफ इंडिया‘. ठाकुर ने यह भी लिखा है कि, अध्यक्ष पद के लिए सोनिया गांधी तैयार नहीं हो, तो राहुल गांधी सामने आए. राज्य के आपदा पुनर्वसन व ओबीसी कल्याण मामलों के मंत्री विजय वडेट्टीवार ने भी कहा है- अध्यक्ष पद के लिए गांधी परिवार को ही जिम्मेदारी लेना चाहिए. गांधी परिवार का नेतृत्व ही कांग्रेस को ताकत देगा. कांग्रेस एससी सेल के अध्यक्ष व राज्य के उर्जा मंत्री डॉ. नितीन राउत की प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है.
अलग-अलग गुट सक्रिय
कांग्रेस सूत्र के अनुसार, राज्य में प्रमुख नेताओं के अलग-अलग गुट हैं. गांधी परिवार के बहाने यहां के नेता कार्यकर्ताओं के माध्यम से एक-दूसरे के विरोध में बयान देने लगे हैं. अशोक चव्हाण, बाला साहब थोरात, नितीन राउत, नाना पटोले के अलावा अन्य प्रमुख नेताओं की गुटबाजी फिर से नया रंग दिखा सकती है.

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