नागपुर/ दि. 24- मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने अकोला जिला परिषद की माध्यमिक शिक्षाधिकारी डॉ. सुचिता पाटेकर के खिलाफ एक अवमानना याचिका गैर कानूनी करार देकर उसका निराकरण किया. न्यायमूर्ति अतुल चांदुरकर व न्या. वृषाली जोशी ने यह निर्णय दिया.
माध्यमिक शिक्षाधिकारी ने 19 नवंबर 2020 को आदेश जारी कर कनिष्ठ लिपिक प्रीति किरटकर की नियुक्ती को 13 अगस्त 2019 से मान्यता प्रदान की थी. उसके बाद 19 मार्च 2021 को इस आदेश में सुधार किया गया. व किरटकर को 13 अगस्त 2019 से 12 अगस्त 2022 तक केवल दो हजार रूपये मासिक मानधन के लिए पात्र निर्धारित किया गया. इसके विरूध्द किरटकर ने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दर्ज की थी. उच्च न्यायालय ने रेकॉर्ड पर सबूत को ध्यान में रखकर शिक्षाधिकारी के आदेश की अवमानना किए जाने का स्पष्ट कर इस याचिका का निराकरण किया गया और किरटकर के लिए 7 नवंबर 2022 को विवादग्रस्त आदेश को अन्य कानूनी मार्ग से आव्हान देने कहा.
उच्च न्यायालय ने किरटकर को सुनवाई का अवसर नहीं दिया. इस कारण से 19 मार्च 2019 को विवादग्रस्त आदेश रद्द किया गया और 19 नवंबर 2020 को आदेश में सुधारना करना हो तो किरटकर की सुनवाई को अवसर देने के निर्देश दिए. उसके बाद शिक्षाधिकारी ने किरटकर को सुनवाई का अवसर देकर 7 नवंबर 2022 को समान आदेश जारी किया. परिणाम स्वरूप किरटकर ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दर्ज की थी.