विदर्भ

कोरोना ने ऐसा जख्म दिया कि पत्नियों को बनना पड़ा घर का स्तंभ

विपरित परिस्थितियों में संभाल रही परिवार की जिम्मेदारी

  • पति की मृत्यु होने के बाद बदल गए घर के हालात

नागपुर/दि.26 – कोरोना महामारी ने तमाम परिवारों को ऐसे मोड़ पर ला कर खड़ा कर दिया है कि पति, बेटे की मृत्यु के बाद परिवार के पालन पोषण की समस्या खड़ी हो गई. घर का हाल बेहाल हो गया. कमाने वाला मुखिया ही इस बीमारी से काल के मुंह में समा गया. ऐसी विपरित परिस्थियों में घर की महिलाओं के कंधों पर परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी आ गई. ऐसी महिलाए घर का आधार बन कर खड़ी हो गई और अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है. वे अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए खुद कमाने के लिए बाहर निकल रही है. घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है. ऐसी ही कुछ महिलाओं से हमने चर्चा की तो उन्होंने अपना अनुभव साझा किया.

  • पति के ट्रांसपोर्ट का बिजनेस संभाल रही हूॅ :- मानकापुर निवासी फरहा (काल्पनिक नाम) ने बताया कि 23 फरवरी 2021 का दिन मेरे लिए कहर बनकर आया . सोचा नहीं था कि शौहर इस तरह हमसे दूर चले जाएंगे. कुछ ही दिनों पहले ससुर की मृत्यु कोरोना से हुई थी. शौहर पिता की मृत्यु बर्दाश्त नहीं कर पाए. हम दोनों की लव मैरिज है. पहले से परिवारजनों का विरोध था. पति का ट्रांसपोर्ट का बिजनेस है. पति की मौत के बाद से ही परिवार के सदस्यों ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए. मैं पेशे से शिक्षिका हूू. पति अक्सर बिजनेस संबंधी बातें मुझसे शेयर करते थे. हम दोनों की 9 वर्ष की बच्ची है.
    शौहर के देहांत के बाद मैनें बिजनेस संभाल लिया. बेटी को पढ़ा लिखाकर अपने पैरों पर खड़ा करना है. इस हादसे से यही सीखा है कि जिंदगी में हर वक्त का सामना करने के लिए खड़ा रहना है. शिक्षा बहुत आवश्यक है. अगर आप शिक्षित है तो कठिन से कठिन परिस्थिति का सामना कर सकते है.
  • पति की कंपनी में एकाउंट का काम मिला :- हनुमान नगर निवासी सीता (काल्पनिक नाम) ने बताया कि 5 मई 2020 को पति की मृत्यु कोरोना से हुई थी. पति प्राईवेट कंपनी में काम करते थे. उनकी मौत के बाद ऐसा लगा की सबकुछ बिखर गया है.दो बेटियों और मैं अकेले रह गये. एक बेटी छठवीं और दूरी दसवीं में है. फिर मैने पति की जगह उनकी कंपनी में जॉब करने की बात की. पति की कंपनी में मुझे एकाउंट का काम दिया गया.
    आज मैं बेटियों का पालन पोषण कर पा रही रही हूॅ. इसके साथ ही घर में साड़ियों में पीको-फॉल लगाने का काम करती हूँ ताकि बेटियों को किसी तरह की कमी न हो. मेरा सपना है कि बेटिया पढ़ लिखकर जॉब करे. अपने पापा का नाम रोशन करे. आज का समय बहुत खराब है. इसलिए अपनी मम्मी को भी अपने साथ रखा है. ताकि बेटियां घर में अकेली न रहे.

Related Articles

Back to top button