विदर्भ

कोरोना महामारी ने पूर्व उपसरपंच के पति समेत बेटे को छिना

सुबह पति की, शाम मेें बेटे की मौत

वर्धा/प्रतिनिधि दि.२८ – गांव में उपसरपंच पद की जिम्मेदारी संभालते ही गांव में शराब बंदी कर महिला व लडकियों के चेहरे पर हसी लाने वाली पूर्व उपसरपंच के परिवार पर कोरोना के काल ने झडप मारी है. इस घटना से सभी ओर शोक लहर फैली है. सुबह पति का और शाम में बेटे की मौत होने से तलेगांव (टालाटूले) स्थित मोहिते परिवार का आधार ही छिना गया है.
तलेगांव की पूर्व उपसरपंच शारदा मोहित के पति देवराव मोहिते व बेटा समीर इन दोनों की भी एक ही दिन मौत होने से परिवार का आधार छिना गया. मोहिते यह अल्पभूधारक किसान है. उनके पास 2 एकड खेती है. शारदा मोहिते 5 वर्ष पहले उपसरपंच थी. तब गांव में शराब की नदी बहती थी. जिससे अनेक परिवार उध्वस्त होते दिखाई दिये. साथ ही गांव की शांति भी भंग होने से शारदा मोहिते ने जिप के पूर्व सभापति मिलिंद भेंडे के पुढाकार से गांव में तेजस्वीनी शराब बंदी मंडल की स्थापना की. हर रोज शाम महिलाओं को लेकर गांव में घुमकर शराब बंदी मुहिम अमल में लायी जाती थी. जिससे असामाजिक ताकदों ने मंडल की कुछ महिला के साथ मारपीट भी की थी, लेकिन इसे न घबराते हुए गांव में शराब बंदी मुहिम जबर्दस्त चलाकर गांव से शराब हद्दपार की. शारदाबाई को इस कार्य में पति वे बेटे ने बडा आधार दिया. घर में केवल 2 एकड खेती रहते हुए भी उन्होंने तीनों बेटों को उच्च शिक्षा देकर परिवार संभाला. 15 दिन पहले ही बडे बेटे का विवाह होने से परिवार में फिलहाल खुशी का माहौल था, लेकिन इसी में कोरोना ने घर में प्रवेश किया. उसी में पति देवराव व विवाहित बडा बेटा समीर को कोरोना की बाधा होने से एक ही दिन सुबह पति की तथा शाम बेटे की मौत हो गई. घर के दोनों मुख्य पुरुष अचानक चले जाने से शारदाबाई समेत लडका, लडकी, समीर की पत्नी पर दुख का पहाड टूट पडा है.

  • अब कर्ज का पहाड कैेसे उतारेंगे

बडा बेटा मृत समीर यह एमकॉम हुआ था तथा दूसरा बेटा पढ रहा है, बेटी बीएससी, नर्सिंग होकर नौकरी कर रही है. समीर को नौकरी न रहने से वह पुरखों की खती कर परिवार को मदत करता था. उसके कारण घर में सब ठिक चल रहा था. समीर का विवाह निश्चित किया गया. जिससे घर बांधकाम के लिए कर्ज निकालकर वह पूर्ण किया. उसके बाद 5 अप्रैल को समीर का विवाह हुआ. किंतु मोहिते परिवार में यह अच्छे दिन नियती को मान्य नहीं थे. पिता समेत समीर को कोरोना की बाधा हुई उन्हें अस्पताल में दाखल कर उनपर इलाज करने के लिए भी 1 लाख रुपए का कर्जा निकालना पडा. फिर भी दोनों ही परिवार को छोडकर चले गए. जिससे शारदाबाई के सामने बडा संकट खडा हुआ है. अब यह कर्ज का पहाड कैसे फेडना, इस तरह का प्रश्न परिजनों के सामने ेहै.

 

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