औरंगाबाद/दि.1 – कोरोना विषाणु का प्रादुर्भाव भविष्य मेंं न हो इसके लिए वैक्सिन बनाने का कार्य कंपनियों द्वारा युद्ध स्तर पर शुरु है. अब तक चार कंपनियों के निष्कर्ष सामने आए है. जिसमें दिसंबर या फिर जनवरी महीने में इसे इस्तेमाल करने के लिए अनुमति प्रदान की जाएगी. इसकी वजह से अब मार्च या अप्रैल में टीकाकारण संभव हो सकता है,ऐसा मत विश्व स्वास्थ्य संगठना की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने स्पष्ट किया.
लातुर के डॉ. स्वामी रामानंद तीर्थ व्याख्यानमाला में वे ऑनलाइन मार्गदर्शन कर रही थी. इस समय वैक्सिन अलायन्सेस के स्वास्थ्य विशेषज्ञ रंजन कुमार व वैद्यकीय शिक्षण मंत्री अमीत देशमुख उपस्थित थे. कोरोना की दूसरी लहर की आने की संभावना और वर्तमान स्थिति में सामुहिक प्रतिकार शक्ति आदि विषय को लेकर विशेष संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. ऐसा पर्यावरण विशेषज्ञ व पत्रकार अतुल देऊलगांवकर ने अपने प्रस्ताविक में कहा.
डॉ. सौम्या ने आगे कहा कि अनेकों वर्षो बाद यह माहमारी आयी है. इसके पूर्व कल्पना विशेषज्ञों द्वारा पहले ही दे दी गई थी. पर्यावरण संतुलन नहीं होने की वजह से दुष्परिणाम होते है. प्रदूषण के चलते पालतु पशुओ की दर दिनों दिन कम हो रही है. उसमें विषाणु का प्रादुर्भाव हुआ. वैक्सिन पर कार्य और संशोधन शुरु है, ऐसा उन्होंने कहा साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चेहरे पर मास्क नियमित रुप से लगाना, सामाजिक दूरी बनाए रखना, बार-बार हाथ धोना इस त्रिसूत्रिय कार्यक्रम पर भी अवलंबन रहने की आवश्यकता है ऐसा भी उन्होंने कहा. वैक्सिन के संदर्भ में उन्होंने कहा कि विविध कंपनियों द्वारा दिए निकर्ष समाधनकारक है अब जल्द ही टीकाकरण के लायसंस देने की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी. जिससे मार्च-अप्रैल में टीकाकरण संभव होगा ऐसा मत डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने ऑनलाइन संवाद में स्पष्ट किया.