विदर्भ

कोरोना की वजह से पैरोल मिलना कैदी का अधिकार नहीं

हाईकोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला

  • अमरावती के कैदी ने दायर की थी याचिका

नागपुर/दि.13 – कोरोना संक्रमण की वजह से पैरोल मिलना, यह कैदी का अधिकार नहीं है, बल्कि कोरोना की वजह से किसी कैदी को पैरोल देना है अथवा नहीं, यह पूरी तरह कारागार अधिक्षक के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है. इस आशय का महत्वपूर्ण निर्णय मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्तिद्वय सुनील शुक्रे व अविनाश घारोटे ने दिया है.
जानकारी के मुताबिक अमरावती सेंट्रल जेल में बंद कैदी अय्याज खान ने 8 मई 2020 को सरकारी निर्णयानुसार कोरोना की वजह से पैरोल मिलने हेतु आवेदन किया था. जिसे कारागार अधिक्षक द्वारा 19 अक्तूबर 2020 को खारिज कर दिया गया. जिसके खिलाफ अय्याज खान ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिस पर हुई सुनवाई पश्चात अदालत ने उपरोक्त निर्णय सुनाया. अदालत ने कहा कि, जेलोें में कोरोना संक्रमण न फैले, इस हेतु राज्य सरकार ने कुछ विशेष कैदियों को पैरोल पर छोडने हेतु 8 मई 2020 को एक जीआर जारी किया था. लेकिन इस जीआर के अंतर्गत किसी भी कैदी को कोरोना की वजह से पैरोल मिलने का अधिकार प्राप्त नहीं होता. बल्कि किसी भी कैदी को पैरोल पर छोडना है अथवा नहीं यह फैसला कारागार अधिक्षक के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है. इस बारे में निर्णय लेने से पहले कारागार अधिक्षक द्वारा अपनी जेल में कोरोना संक्रमण की स्थिति, कोरोना संक्रमित कैदियों की संख्या, जेल में फिजीकल डिस्टंस के नियमों के पालन, कैदी पैरोल पर छूटने के बाद जहां जायेगा, उस क्षेत्र में कोरोना की स्थिति आदि सभी बातों का विचार किया जाना अपेक्षित है. ऐसे में कोई भी कैदी अधिकार के तौर पर कोरोना के चलते पैरोल की मांग नहीं कर सकता. उपरोक्त निर्णय के साथ ही हाईकोर्ट ने अय्याज खान के आवेदन पर सभी बातों पर दुबारा नये सिरे से विचार कर निर्णय लेने का निर्देश कारागार अधिक्षक को दिया है.

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