विदर्भ

दम्पति के तलाक का फैसला केवल तीन माह में

मनोमिलन संभव न होने पर उच्च न्यायालय के आदेश

नागपुर/ दि.17 – मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक दम्पति के विवादीत रिलेशनशीप को देखते हुए तलाके की लंबी प्रक्रिया को मात किया. इस दम्पति की तलाक याचिका पर 3 माह के अंदर फैसला सुनाने के आदेश नागपुर पारिवारिक न्यायालय को दिये है. इस दम्पति का मनोमिलन संभव न होने का मत रखते हुए यह फैसला सुनाया गया.
इस दम्पति ने आपसी सहमति से तलाक पाने के लिए पारिवारिक न्यायालय में याचिका दायर की है. हिंदू विवाह कानून की धारा 13 ब (2) के अनुसार ऐसी याचिका पर दायर तारिख से 6 माह तक कार्रवाई नहीं की जा सकती. दम्पति ने आपसी सहमति से तलाक का निर्णय जल्दबाजी में लिया हो तो उन्हें विवाह समाप्त कर नए सिरे से एक साथ आने का अवसर मिले, इस वजह से यह समय मर्यादा (कुलिंग पिरिएड) लागू करने का इसके पीछे का उद्देश्य है. परंतु यह समय मर्यादा बंधनकारक नहीं. परिवार न्यायालय अलग हुए दम्पति की विवाद की तीव्रता व उनके पुनर्वसन के अवसर को देखते हुए यह समय मर्यादा माफ कर आपसी सहमति की तलाक याचिका पर तत्काल कार्रवाई कर सकती है. इस वजह से यह समय मर्यादा माफ हो, इसके लिए यह आवेदन दायर किया था. जल्दी में लिये गए निर्णय के कारण दम्पति को आगे जाकर पश्चाताप न हो, इस वजह से पारिवारिक न्यायालय ने 12 अप्रैल 2022 को यह आवेदन खारीज किया. इस वजह से उस दम्पति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, याचिका मंजूर कर न्यायमूर्ति मनीष पितले की अदालत के समक्ष सुनवाई ली गई. याचिकाकर्ता की ओर से एड. हरिश ठाकुर ने दलीले पेश की.

छह माह में ही हुए अलग
इस मामले के दम्पति का 24 मई 2020 को विवाह हुआ. उनके बीच कम वक्त में ही काफी मतभेद निर्माण हुआ. इसके कारण वे नवंबर 2020 में अलग हो गए और उन्होंने 28 मार्च 2022 को पारिवारिक न्यायालय में आपसी सहमति से तलाक याचिका दायर की.

दम्पति को इस वजह से मिली राहत
– इस दम्पति का फिर से एकसाथ रहना संभव नहीं. उन्हें फिर से जीवन बसाने का अवसर है, पत्नी को दूसरे विवाह का प्रस्ताव है.
– दोनों उच्च शिक्षित है, कला पदवीधारक पत्नी अस्पताल में और अभियंता पति सॉफ्टवेअर कंपनी में नौकरी करते है.
– इसके आगे साथ में नहीं रह सकते, ऐसा दोनों ने अडिग होकर बताया. उनके बीच समुपदेशन प्रक्रिया सफल नहीं हुई.

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