विदर्भ

हिंदी विद्यापीठ ने छात्र पर की विवादित कार्रवाई की फाइल कोर्ट ने की जब्त

कुलसचिव पर न्यायालय अवमानना कार्रवाई पर 11 जून को फैसला

नागपुर/दि.10– वर्धा के महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी छात्र निरंजनकुमार प्रसाद पर की गई विवादित कार्रवाई की फाइल मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने गुरुवार को जब्त की. इसी प्रकार कुलसचिव डॉ.धरवेश कठेरिया के खिलाफ न्यायालय की अवमानना कार्रवाई के संबंध में आगामी 11 जून को फैसला करने की घोषणा की. इस मामले में न्यायमूर्ति नितिन सांबरे व न्यायमूर्ति अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई.

26 जनवरी 2024 को गलत आचरण को लेकर विश्वविद्यालय के निरजंन कुमार की पीएचडी की उम्मीदवार रद्द कर दी थी. उनको विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करने पर भी प्रतिबंध लगाया था. इस पर निरंजन कुमार ने उच्च न्यायालय की शरण ली. 16 फरवरी को विवादित कार्रवाई को अंतरिम स्थगिती दी गई. इसके बाद प्रसाद को विश्वविद्यालय में प्रवेश देना और शोध कार्य करने देना आवश्यक था. लेकिन प्रसाद को विश्वविद्यालय में प्रवेश देने से इनकार कर दिया गया. इस पर न्यायालय ने 29 अप्रैल को कठेरिया के खिलाफ न्यायालय अवमानना के दोषारोप तय किया है. इसके पहले न्यायालय ने कठेरिया को स्पष्टीकरण पेश करने का अवसर दिया गया था. लेकिन वह न्यायालय का समाधान करने में विफल रहे. उन्होंने न्यायालय की बिनाशर्त माफी मांगते हुए न्यायालय अवमानना के दोषारोपण से मुक्त करने की मांग की है.

इस मामले में न्यायालय की अवमानना होने के ठोस मुद्दे रिकार्ड में है. इसलिए न्यायालय ने संबंधित फाइल जब्त कर ली है. इससे फाइल में छेडछाड करने का मार्ग बंद हो गया है. निरंजनकुमार की तरफ से एड.निहालसिंह राठोड और एड.राहुल वाघमारे ने पैरवी की.

* निरंजन कुमार पर यह था आरोप
निरंजन कुमार सम्यक विद्यार्थी आंदोलन के संयोजक है. उन्होंने 26 जनवरी 2024 को विश्वविद्यालय परिसर में हंगामा कर तत्कालीन प्रभारी कुलगुरु को ध्वजारोहण करने से रोकने और उन्हें मारपीट करने का प्रयास किया था. उनका यह आचरण कुलगुर व राष्ट्रध्वज का अपमान करने वाला था, ऐसा आरोप विश्वविद्यालय ने लगाया था. विश्वविद्यालय ने घटना की जांच के लिए 17 सदस्यों की उच्चस्तरीय समिति स्थापित की थी. उस समिति की रिपोर्ट आने के बाद निरंजन कुमार पर संबंधित कार्रवाई की गई थी. किंतु यह कार्रवाई करने से पूर्व कारण बताओ नोटिस देकर सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया. परिणामस्वरूप प्राकृतिक न्यायतत्व का उल्लंघन हुआ, ऐसा निरंजन कुमार का कहना है.

Related Articles

Back to top button