* फुटाला के जंगल में जुआ अड्डा
नागपुर/दि.31-आईपीएल पर सट्टा क्रिकेट बुकियों की पहली पसंद होता है. अब इन बुकियों की एंट्री मुर्गों की लडाई के अड्डे में हो गई है. शहर में सालों से मुर्गों को लडाने का खेल चल रहा है. यहां दिलचस्प यह है कि आईपीएल पर सट्टा क्रिकेट बुकियों ने मुर्गों पर पैसा लगाना शुरु किया है. फुटाला तालाब से सटा कृषि विश्वविद्यालय का जंगल मुर्गों की लडाई के आईपीएल’ का गवाह बना हुआ है. फुटाला तालाब के पास कृषि विश्वविद्यालय की जमीन है. यह जमीन काफी समय से मुर्गों की लडाई का अड्डा बनी हुई है. छह माह पहले वाडी के कुख्यात गैंगस्टर ने हथियारों से लैस 40-50 साथियों की मदद से इस अड्डे पर हमला कर दिया था. इस हमले के बाद चर्चा में आने से अड्डा बंद हो गया. पंद्रह दिन पहले यह अड्डा पुनः आरंभ हो गया है. सालों से कुख्यात इस अड्डे पर शहर ही नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों से भी मुर्गों की लडाई के देखने के शौकीन आ रहे हैं. बुधवार, शुक्रवार और रविवार को अड्डे की रौनक देखते ही बनती है. दोपहर 4 बजे से दूसरे दिन के तडके तक कत्ती के मुर्गे की लडाई पर लाखों की हार-जीत हो रही है.
* दो मुर्गों के पैरों में बांधी जाती है ब्लेड
मुगों के पैरों में ब्लेड बांधी जाती है. इस ब्लेड से दोनों मुगों में लड़ाई होती है. हर मुर्गों पर लोग दांव लगाते हैं. संचालक द्वारा आईपीएल की तर्ज पर मुर्गों की लड़ाई कराने की बात बताए जाने से शौकीनों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. रविवार के दिन यहां का नजारा किसी मेले से कम नहीं होता. यह देखने लायक होता है. बीते रविवार को ही नाल (कमीशन) के तौर पर ही अड्डा संचालक ने 5 लाख रुपए की कमाई की है. यह अड्डा अंबाझरी थाने की सीमा में आता है. पुलिस अथवा उसके मुखबिरों से बचने के लिए अड्डे से एक कि.मी. पहले ही वॉचर तैनात किए गए है. यह संदिग्ध गतिविधि दिखाई देते ही साथियों को सतर्क कर देते हैं. बुधवार, शुक्रवार और रविवार को अतिरिक्त सावधानी बरती जाती है. ग्राहकों के वाहनों को अड्डे से काफी दूर पार्क किया जाता है. रुपए की लेनदेन भी अड्डे दूसरे स्थान पर की जाती है. शहर और ग्रामीण के अपराधियों की मौजूदगी से यहां किसी भी वक्त बड़ी वारदात हो सकती है.
* शहर में चल रहे कई अड्डे
छह माह पहले इस अड्डे पर हमला करने वाला वाड़ी का अपराधी भी शीला नगर में जुए का अड्डा चला रहा है. यह अड्डा वाड़ी और गिट्टीखदान थाने की सीमा पर है. प्रतिद्वंदी अपराधी खुद ही अड्डा चलाने में व्यस्त होने से मुर्गा अड्डे का संचालक भी बेफिक्र हो गया है. शहर में दूसरा चर्चित अड्डा लकड़ापुल पर मुरु-जावेद का चल रहा है. फुटाला के अड्डे से उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है.
* मुर्गे पाने के लिए भी प्रतिस्पर्धा
हार-जीत के बाद बचे मुर्गे पुलिस अधिकारी-कर्मियों के किचन में पहुंच रहे हैं. कत्ती के इन मुर्गों को हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा लगी हुई है. उन्हें लेने के लिए विशेष कर्मियों की तैनाती भी की गई है. पॉकिट के साथ मुर्गा देने की प्रथा पहली बार देखी जा रही है.