नागपुर/दि.3 – अकोला के एक अस्पताल में प्रसूति के दौरान नवजात शिशू की मौत हो गई. उसके लिए जिम्मेदार अस्पताल के दो डॉक्टरों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है. इस मामले में नियुक्त की गई तज्ञों की दो समितियों ने आपस में विरोधी रिपोर्ट पेश की. इसपर वे दोनों डॉक्टरों के खिलाफ सत्र न्यायालय में मामला चलाने के निर्देश मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने दिये है.
डॉ. शिल्पा कोटक व डॉ. किरण गुप्ता इन दोनों डॉक्टरों को आरोपी बनाया गया है. पुलिस व्दारा दर्ज मामले के अनुसार मई 2012 में अंजली नामक महिला की प्रसूति होने वाली थी. उपरोक्त दोनों डॉक्टरों का इलाज वह गर्भवती महिला ले रही थी. डॉक्टरों को किसी काम से बाहरगांव जाना था. इस वजह से उन्होंने उस महिला की प्रसूति 11 दिन पहले ही करने का निर्णय लिया. उसके अनुसार महिला को लेबर पेन के लिए दवा दी. जिसके कारण महिला की प्रसूति सामान्य होने की बजाए सिजेरियन करना पडा. इस ऑपरेशन में नवजात शिशू की मौत हो गई. परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने अपराध दर्ज करने से पहले तज्ञ समिति की सलाह ली. समिति ने डॉक्टरों के खिलाफ रिपोर्ट पेश की, इसके बाद पुलिस ने अपराध दर्ज किया. इसके बाद जांच समिति गठित कर जांच की गई. इस समिति के अनुसार नवजात शिशू की मौत के मामले में डॉक्टरों का कोई दोष नहीं था, इस वजह से दो समितियों की रिपोर्ट में आपस में विरोधी बाते रहने से मामले की सच्चाई परखने के लिए सत्र न्यायालय में यह मामला चलाना जरुरी है, ऐसी राय व्यक्त करते हुए नागपुर खंडपीठ ने दोनों डॉक्टरों को राहत दिलाने से इंकार कर दिया.