विदर्भ

मवेशी साहित्य खरीदी में करोडों का घोटाला

पशुधन विकास मंडल का मामला

नागपुर /दि.29– मवेशी साहित्य खरीदी में करोडों रुपयों का घोटाला करने का आरोप करते हुए महाराष्ट्र पशुधन विकास मंडल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सतीश राजू के विरोध में शासन के पास शिकायत की गई है.
डॉ. सतीश राजू ने खरीदी नीति नियम का उल्लंघन कर मवेशियों का कृत्रिम रेतन, गर्भवती जांच, वंधत्व जांच के लिए 2 करोड 49 लाख रुपए के 48 लाख 99 हजार नग प्लास्टिक के हाथ मोजे खरीदी किये. बाजार में 2 से 3 रुपए मूल्य में उपलब्ध रहने वाले हाथ मोजे दो गुने मूल्य से यानि 6 रुपए प्रति नग खरीदी करने का आरोप है. इस बाबत ठोस सबूत मुख्यमंत्री सहित पशु संवर्धन मंत्री और सचिव के पास दिये गये है. शिकायत के मुताबिक डॉ. राजू ने पशुधन विकास मंडल की तरफ से पिछले दो साल में महंगे भाव में 10 करोड रुपए से अधिक रुपए की खरीदी की. राज्य के मवेशियों के कृत्रिम रेतन का साहित्य मंडल की तरफ से दिया जाता है. इसके लिए मंत्रालय स्तर पर तिरुपति ट्रेडलिंक नामक कंपनी के साथ करार किया गया है. यह करार बाजार भाव के मुताबिक होना अनिवार्य रहते वह भाव बढाकर किया गया है. विशेष यानि शासन के 25 जून 2015 के अध्यादेश के मुताबिक प्राप्त निविदा, कीमत बाजार भाव देखकर खरीदी की कार्रवाई करने की सूचना रहते हुए भी पशुधन विकास मंडल ने इसका उल्लंघन किया. प्लास्टिक हाथ मोजे खरीदी करते समय उसकी गुणवत्ता और आकार देखना अनिवार्य रहता है. लेकिन कोई भी जांच न करते हुए खरीदी किये जाने की बात सबूत से दिखाई देती है. इस हाथ मोजे की ऑनलाइन कीमत कम है, ऐसा रहते हुए भी अधिक भाव से खरीदी क्यों, ऐसा प्रश्न उपस्थित किया गया है. 2 करोड से अधिक रुपए में लिए हाथ मोजे निकृष्ठ दर्जे के रहने से पशु वैद्यकीय डॉक्टर को उसका इस्तेमाल करना असंभव रहने की बात शिकायत में दर्ज की गई है.

* इन वस्तुओं की अधिक मूल्य में खरीदी
– 100 से 150 प्रति नग मिलने वाली स्टील यूनिवर्सल आर्टिफिशीयल इन्सेमिनेशन गन 324 रुपए भाव से खरीदी की गई.
– 180 से 200 रुपए मूल्य का मिलने वाला थाउ मॉनिटर 373 रुपए के मुताबिक खरीदी किया गया है.
– 300 से 350 रुपए प्रति नग मिलने वाला थर्मास फ्लास्क 700 रुपए मूल्य में खरीदी किया गया.
– 100 रुपए में मिलने वाला डिप स्टीक 240 रुपए में खरीदी किया गया.

* जांच कर खरीदी की जाती है
इस खरीदी प्रक्रिया को एक वर्ष हो गया है. मैं इस पद पर कार्यरत होने के पूर्व निविदा प्रक्रिया चलाई गई. सभी तरह की जांच करने के बाद ही खरीदी की जाती है. इसमें कोई भी अनियमितता नहीं है. विभाग का एक कर्मचारी द्वेष भावना से शिकायत करता है. तुकाराम मुंडे पशु संवर्धन के सचिव रहते उनकी अनुमति से ही संपूर्ण खरीदी व्यवहार हुआ है. अनियमितता के आरोप झूठे है.
डॉ. सतीश राजू,
मुख्य कार्यकारी अधिकारी,
पशु विकास मंडल.

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