विदर्भ

श्री निहालदेव बाबा की जय जयकार से गूंजा दाभोना ग्राम

17 वर्षों से चली आ रही है आयोजन की परंपरा

चांदूर बाजार/दि.26-तहसील के ग्राम ब्राह्मणवाडा थडी ग्राम से 7 किमी दूर सतपुड़ा पहाड़ी की श्रृंखला में महाराष्ट्र मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित बैतूल जिले में आने वाले दाभोना ग्राम में श्री निहालदेव बाबा संस्थान मे विगत 16 वर्षों से मेला कार्यक्रम का आयोजन किया जाता आ रहा है. इस वर्ष भी बड़े पैमाने पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. बता दें श्री निहालदेव बाबा आदिवासी निहाल समाज के लिए प्रमुख देवता के रूप मे प्रसिद्ध है. समाज द्वारा हर वर्ष दिसंबर की पूर्णिमा पर बाबा के इस स्थान पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. कार्यक्रम की शुरुआत में निहालदेव बाबा की पूजा अर्चना की गई. बाद में इसी संस्थान में स्थापित निहाल समाज के क्रांतिवीर भीमा नायक की प्रतिमा को नमन किया गया. इसी तरह समाज और संघटना के पदाधिकारींयो ने सभा को संबोधित किया. जिसमे बाबा और स्वतंत्रता सेनानी भीमा नायक के जीवन पर प्रकाश डाला गया, साथ ही संस्थान मे मौजूद समस्याओं का जिक्र करते हुए तुरंत ही विविध समस्याओं के निराकरण की बात कही. इस कार्यक्रम मे महाराष्ट्र सहित मध्यप्रदेश के कई जिलों से हजारों की संख्या मे निहाल समाज के श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज की.

सुबह से चल रहे इस मेला कार्यक्रम मे विविध प्रकार की सैकड़ो दुकानों ने इस कार्यक्रम की शोभा बढाई. इसी तरह हजारों श्रद्धालुओं सहित मेले मे मौजूद अन्य के लिए मुफ्त भोजन की व्यस्था की गई. इस समय हजारों श्रद्धालुओं के साथ इस समय कार्यक्रम में समाज के बैतूल जिलाध्यक्ष नवलकिशोर वाघमारे, बैतूल जिला उपाध्यक्ष सुरेश बारसकर, मप्र बडवाणी अध्यक्ष घनश्याम सोलंकी, सचिव होसीलाल रघुवंशी, उपाध्यक्ष बलदेव राठोड, खंडवा जिलाध्यक्ष कैलाश रघुवंशी, सचिव विपिन काजले, खरगौन जिलाध्यक्ष बरिलराम वर्मा, हरदा जिलाध्यक्ष ग्यारस राम भाई, होशंगाबाद जिलाध्यक्ष जयकिशन कास्दे, उपाध्यक्ष श्रवण दर्शिमा, देवास जिलाध्यक्ष बद्रीजी बपेल, खरगैन से समाज संघटक कलामे सर, अमरावती जिलाध्यक्ष मोहन धावडे, उपाध्यक्ष बाजीसावल धावडे सहित समाज के अन्य मान्यवर और पदाधिकारी प्रमुखता से उपस्थित थे.

* श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र
आज से कई शतक पूर्व दभोना ग्राम से सटी सतपुड़ा पहाड़ी मे निहालदेव बाबा का स्थान था. मौजूदा निहाल समुदाय का कहना है कि उन्होंने अपने पूर्वजों से सुनते आया है कि, उस प्राचीन काल मे आदिवासियों ने निहालदेव बाबा के करिश्में देखे. उनके श्रद्धालुओं का आज भी यह मानना है की उनके संस्थान पर उनके हाथ के लोटे से निकला पानी आज तक हर समय बहता आ रहा है. कई शतकों से निहाल समाज बाबा की पूजा अर्चना करता आ रहा है उनमें अपना ठोस विश्वास रखता आ रहा है. इसी समय से यह समाज अपने शुभ कार्यों की शुरुआत करता है.
 

* क्रांतिकारी भीमा नायक का परिचय*
श्री निहालदेव बाबा संस्थान में भीमा नायक की स्मारक मौजूद है. भीमा नायक ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया था. भीमा नायक की मृत्यु 29 दिसंबर 1876 को पोर्ट ब्लेयर में हुई थी. भीमा नायक को निमाड का राँबिनहुड कहा जाता था, इनकी माताजी का नाम सुरसी बाई भील थी जीन्होंने ही भीमा नायक को ब्रिटिशों से युद्ध करने की प्रेरणा दी थी. भीमा नायक की उपाधि नायक थी वे मूलतः भील आदिवासी थे.

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