विदर्भ

अक्तूबर 2025 तक पूरा होगा दीक्षाभूमि विकास प्रकल्प

नागपुर महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण ने हाईकोर्ट में दिया प्रतिज्ञापत्र 

नागपुर /दि.19– अंतरराष्ट्रीय श्रद्धास्थल रहने वाली दीक्षाभूमि के सार्वांगिण विकास का प्रकल्प 19 अक्तूबर 2025 तक पूर्ण किया जाएगा. इस आशय की जानकारी नागपुर महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में प्रतिज्ञापत्र प्रस्तूत करते हुए दी गई. बता दें कि, इस प्राधिकरण को इस प्रकल्प के नोडल एजेंसी के तौर पर जिम्मा सौंपा गया है.
प्रतिज्ञापत्र में दी गई जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने 31 मार्च 2023 को 200 करोड 31 लाख रुपए की निधि को दीक्षाभूमि विकास प्रकल्प के लिए मान्यता दी है. इसके तहत 20 अक्तूबर 2023 को हरियाणा की गुरुग्राम स्थित वायएफसी-बीबीजी इस संयुक्त उपक्रम कंपनी को पहले चरण तक 130 करोड 81 लाख 81 हजार 967 रुपयों के काम का कार्यादेश जारी किया गया. इस विकास प्रकल्प में दीक्षाभूमि के 4 प्रवेश द्वारों का विस्तारीकरण, 4 नये तोरण द्वार का निर्माण, संग्राहालय, खुला रंगमंच, बेसमेंट पार्किंग, सुरक्षा दीवार, क्लॉक रुम, वॉश टावर, शौचालय, पीने का पानी, कार्यक्रम व्यासपीठ, जलसंग्रहण टंकी, मल जल प्रक्रिया प्रकल्प, अर्थ केंद्र, सुरक्षा केंद्र, सीसीटीवी कैमरे, हाईमास्ट लाइट, अग्निश्मन व वातानुकुलन व्यवस्था आदि कामों का समावेश है.
दीक्षाभूमि के सर्वांगिण विकास हेतु एड. शैलेश नारनवरे द्वारा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई थी. जिस पर न्या. नितिन सांभरे व न्या. अभय मंत्री की द्विसस्यीय के समक्ष सुनवाई हुई. इस दौरान एड. नारवनरे ने प्राधिकरण के प्रतिज्ञापत्र की प्रतिलिपी को स्वीकार करते हुए इस पर अपनी भूमिका रखने हेतु समय दिया जाने का निवेदन किया. जिसके चलते अदालत ने इस मामले में सुनवाई को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया.
ज्ञात रहे कि, दीक्षाभूमि पर प्रतिवर्ष धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर जयंती व महापरिनिर्वाण दिवस सहित विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते है. जिनमेें शामिल होने हेतु देश-विदेश से बडी संख्या में अनुयायी उपस्थित होते है. परंतु यहां पर भोजन, निवास, स्वच्छता गृह व परिवहन आदि आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के चलते अनुयायियों को कई समस्या का सामना करना पडता है. विगत कई वर्षों से यही स्थिति कायम है. जिसके चलते दीक्षाभूमि का विकास आवश्यक रहने की बात इस याचिका में कही गई है.

 

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