पिंपरी/11 मार्च – कोरोना के कारण (कोविड-19) उद्योग व व्यवसाय की बिगड़ी स्थिति अब भी व्यवस्थित नहीं होने की बात डिजल बिक्री पर से यह स्पष्ट हो रही है. अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 कालावधि में डिजल का खप गत वर्ष की तुलना में करीबन 10.9दशलक्ष टन से घटने की जानकारी सामने आयी है.
पेट्रोलियम प्लॅनिंग एंड एनालिसिस सेल ने हाल ही में प्रसिध्द किये गये अहवाल से यह जानकारी सामने आयी है. कोरोना का प्रसार रोकने के लिये मार्च 2020 के आखिरी सप्ताह में देश में लॉकडाउन घोषित किया गया. अत्यावश्यक सेवा को छोड़ अन्य यातायात एवं जनजीवन ठप पड़ गया. इस काल में पेट्रोल-डीजल का खप नीचे स्तर पर आ गया. जून 2020 पश्चात देश सहित राज्य में लॉकडाऊन के नियम धीरे-धीरे शिथिल किये गये. पश्चात उद्योग की गति धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी. उद्योग के लिये माल और प्रवासी यातायात के लिये देश में डिजल का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है.
पेट्रोलियम प्लॅनिंग एंड एनेलिसिस सेल व्दारा दी गई आंकड़ेवारी के अनुसार 2019-20 की तुलना में अप्रेल 2020 से जनवरी 2021 इन दस माह का डिजल का खप 109 लाख टन कम हुआ है. जनवरी 2020 की तुलना में जनवरी 2021 के डिजल का खप 2 लाख टन से कम है. पेट्रोल का खप 2019-20 की तुलना में अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 इस कालावधि में 35 लाख टन से घटा है. जनवरी 2020 की तुलना में जनवरी 2021 में पेट्रोल की मांग में 1 लाख टन की बढ़ोत्तरी हुई, यानि पेेट्रोल की मांग बढ़ी है. जनजीवन पहले के समान आने से निजी वाहनों व्दारा मांग बढ़ने से यह बढ़ोत्तरी होते दिखाई दे रही है.
डिजल की मांग अब तक 70 प्रतिशत पर भी नहीं पहुंची है. लंबी दूरी के माल यातायात करने वाले ट्रक कर्मी होने से डिजल का खप कम हुआ है.
– अली दारुवाला, राष्ट्रीय वक्ता,
पेट्रोल एंड डीलर्स असोसिएशन