विदर्भ

मंत्रालय के ट्रान्सफर रैकेट से दिलीप खोडे का सीधा कनेक्शन

15 वर्ष से तबादले व वसूली के काम में था सक्रिय

नागपुर/दि.31 – खुद को मंत्रालय में ओएसडी के तौर पर कार्यरत बताते हुए कांग्रेस विधायक वजाहत मिर्जा के नाम पर 25 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए पकडा गया दिलीप खोडे विगत 15 वर्षों से मंत्रालय में सक्रिय था और मंत्रालय के संपर्कों का प्रयोग करते हुए ट्रान्सफर रैकेट चलाया करता था. जिसके तहत तबादले एवं वसूली के काम किए जाते थे.
बता दें कि, नागपुर एसीबी के दल ने विगत 28 मार्च को एक परिवहन अधिकारी से 25 लाख रुपए की रिश्वते लेते हुए दिलीप खोडे को गिरफ्तार किया. इस मामले में दिलीप खोडे का सहयोगी शेखर भोयर फिलहाल फरार है. शिकायतकर्ता परिवहन अधिकारी के खिलाफ आरटीओ में कार्यरत महिला मोटर वाहन निरीक्षक ने लैंगिक शोषण की दो शिकायतें दाखिल की है. जिन्हें कांग्रेस के विधायक वजाहत मिर्जा द्बारा विधान परिषद में नहीं उठाने के बदले खोडे ने इस परिवहन अधिकारी से 50-50 लाख ऐसे कुल 1 करोड रुपए मांगे थे और चर्चा के बाद वह 25 लाख रुपए लेने के लिए तैयार हो गया. जिसके बाद एसीबी ने उसे रिश्वत स्वीकारते हुए रंगहाथ धर दबोचा.
सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2008 में दिलीप खोडे अमरावती एमआईडीसी में तकनीशियन के पद पर नियुक्त हुआ था. पश्चात कुछ दिन यवतमाल में बिताने के बाद उसे मंत्रालय में नियुक्ति मिली और वर्ष 2009 में वह पहली बार तत्कालीन गृहमंत्री का ओएसडी नियुक्त हुआ. जबकि उसे इस काम का कोई अनुभव नहीं था. बावजूद इसके उसे वर्ष 2010 में स्वीय सहायक के तौर पर नियुक्त किया गया. ऐसे में दिलीप खोडे वर्ष 2009 से लेकर अब तक कई मंत्रियों, नेताओं व अधिकारियों सहित उनके नजदीकी लोगों से जुडता चला गया और इन सभी लोगों के जरिए वह प्रतिवर्ष अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले करवाते हुए उन्हें उनकी मनपसंद नियुक्ति दिलाया करता था और इन तबादलों के जरिए प्रतिवर्ष करोडों रुपए का आर्थिक लेन-देन हुआ करता था.
जानकारी है कि, खोडे और उसके सहयोगी शेखर भोयर सहित कुल 8 से 10 लोगों की टीम इस काम के लिए कार्यरत है. जो ग्राहक पटाने से लेकर पैसों का व्यवहार करने का काम करते है. ऐसे में अब एसीबी द्बारा इस पूरे मामले की सघन जांच की जा रही है. ताकि खोडे-भोयर कंपनी की कारगुजारियों को पूरी तरह से उजागर किया जा सके.

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