विदर्भ

कोरोना मरीजों को अछूत न समझें चिकित्सक : हाईकोर्ट

गर्भवती महिलाओं की जांच में लापरवाही पर हाईकोर्ट सख्त

  • मेडिकल बोर्ड ने कहा था- कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होगी, तब ही गर्भवती की जांच होगी

नागपुर/दि.१३ – बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कोरोना के नाम पर गर्भवती महिलाओं के इलाज में लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों को फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने कडे शब्दों में कहा है कि, यह हमारी समझ के बाहर है कि, आखिर चिकित्सक कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं के इलाज से क्या कतरा रहे हैं, जबकि अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज जारी है. याद रखें कि कोरोना मरीज अछूत नहीं है. इस निरिक्षण के साथ हाईकोर्ट ने चंद्रपुर मेडिकल अस्पताल के मेडिकल बोर्ड को याचिकाकर्ता अंकिता (परिवर्तित नाम) की मेडिकल जांच करके यह निकर्ष देने को कहा है कि, वह गर्भपात करा सकती है या नहीं. यदि याचिकाकर्ता कोरोना पॉजिटिव भी पाई जाती है, तो भी एसओपी का पालन करते हुए उसके गर्भपात की अनुमति देने पर विचार किया जाना चाहिए.

यह थी मेडिकल बोर्ड की राय

दरअसल याचिकाकर्ता महिला गर्भपात कराना चाहती है. जब उसने अपने चिकित्सक से इस बाबत संपर्क किया, तो कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए उसे इसकी अनुमति नहीं दी गई. नियमों के अनुसार एक तय वक्त से अधिक बीत जाने पर गर्भपात के लिए सरकारी अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से जांच करानी होती है. याचिकाकर्ता का आरोप था कि, कोरोना संक्रमण का हवाला देकर चिकित्सक उसकी जांच से इंकार कर रहे हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. बीती सुनवाई में हाईकोर्ट ने चंद्रपुर मेडिकल अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से गर्भपात पर राय मांगी थी. बोर्ड ने यह राय दी थी कि, महिला को गर्भपात की अनुमति तब ही दी जा सकती है जब महिला की स्वास्थ्य जांच हो और स्वास्थ्य जांच तब ही की जा सकती है. जब महिला की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आएगी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश जारी किया है.

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