नागपुर/दि.8 – दिवंगत वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण मृत्यु मामले में न्यायालय के आगामी आदेश तक तत्कालीन अतिरिक्त प्रधान मुख्य वनसंरक्षक श्रीनिवास रेड्डी पर अभियोग पत्र दाखल न करे, इस तरह का आदेश मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने दिया है.
रेड्डी ने इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उनकी याचिका पर न्यायमूर्ति अतुल चांदूरकर व न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला के समक्ष सुनवाई हुई. इसपर न्यायालय ने अमरावती पुलिस को नोटीस देकर 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिये है. साथ ही न्यायालय के आगामी आदेश तक उनके खिलाफ अभियोगपत्र दाखल न करने की बात कहकर रेड्डी को अस्थाी राहत दी है.
अमरावती जिले के हरिसाल की वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण ने वरिष्ठ अधिकारियों के अत्याचारों से त्रस्त होकर आत्महत्या की. आत्महत्या से पहले उन्होंने एक चिठ्ठी लिख छोडी थी. इस चिठ्ठी के आधार पर आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करने के साथ ही विविध धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया. इसमें रेड्डी को आरोपी किया गया है. इससे पहले रेड्डी ने गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए सत्र न्यायालय में अर्जी दाखल की थी. सत्र न्यायालय ने गिरफ्तारी पूर्व जमानत खारीज करने के बाद कुछ दिन पहले उन्हें नागपुर से गिरफ्तार किया गया है. इस बीच सत्र न्यायालय ने उन्हें नियमित जमानत भी नकारी है. इसी दौरान रेड्डी ने एफआईआर रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की. न्यायालय ने उनका पक्ष सुनने के बाद अमरावती पुलिस को नोटीस दिया है. इस बीच आगामी आदेश तक अभियोगपत्र दाखल न करने के आदेश भी खंडपीठ ने दिये है. रेड्डी की ओर से एड.अक्षय नाईक व एड.अर्थव मनोहर ने पक्ष रखा.
शिवकुमार की जमानत पर नोटीस
गुगामल वनपरिक्षेत्र के उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार यह इस मामले के दूसरे आरोपी है. उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखल की है. उसमें न्यायमूर्ति विनय देशपांडे ने राज्य सरकार को नोटीस देकर जवाब पेश करने का आदेश दिया है. साथ ही अर्जी पर ग्रीष्मकालिन छुट्टियों के बाद आगामी सुनवाई निश्चित की जाएगी. सत्र न्यायालय ने जमानत नकारने से शिवकुमार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. शिवकुमार की ओर से एड.फिरदोस मिर्जा ने कामकाज संभाला.