विदर्भ

अरुण गवली को समयावधि के पूर्व रिहा न करें

गृहविभाग की सर्वोच्च न्यायालय में गुहार

नागपुर/दि.23– अंडरवर्ड डॉन डैडी उर्फ अरुण गवली की समयावधि के पूर्व रिहाई पर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने गृहविभाग से चार सप्ताह में निर्णय लेने के आदेश लिए थे. इस निर्णय के विरोध में गृहविभाग ने अब सर्वोच्च न्यायालय में दौड लगाते हुए गवली के समय से पूर्व रिहाई का विरोध किया है. शिवसेना के तत्कालीन पार्षद कमलाकर जामसांडेकर के हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.

याचिका के मुताबिक 10 जनवरी 2006 के शासन निर्णय में 65 वर्ष की आयु पूर्ण करनेवाले और शारीरिक दृष्टि से कमजोर और कारवास की अधिकांश सजा पूर्ण किए कैदियों को बची हुई सजा में छूट देकर कारागृह से रिहा करने का प्रावधान है. गवली की आयु 65 वर्ष पूर्ण हो गई है. उसे विविध शारीरिक बीमारी है और सजा भी काफी भुगत चुका है. इस कारण कारागृह से मुक्त करने का अनुरोध गवली ने किया था. कारागृह अधीक्षक ने निर्णय में 2015 में की गई दुरुस्ती के मुताबिक गवली को सजा में छूट नहीं दी जा सकती, ऐसा कारण दर्ज कर यह आवेदन 12 जनवरी 2023 को खारिज कर दिया. इस कारण पिछले वर्ष गवली ने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी. उच्च न्यायालय ने 5 अप्रैल को फैसला सुनाते हुए गवली का अनुरोध मान्य किया था. साथ ही गृहविभाग सहित राज्य शासन को इस पर 4 सप्ताह में निर्णय लेने के आदेश दिए थे. पश्चात गृहविभाग ने उच्च न्यायालय को सर्वोच्च न्यायालय में जाने के लिए एक माह का समय बढाकर मांगा.

* डैडी को इस प्रावधान का लाभ असंभव
अरुण गवली को शिवसेना के तत्कालीन पार्षद कमलाकर जामसांडेकर के हत्याकांड में उम्रकैद की सजा हुई. उसे इसमें धारा 302 के तहत सजा सुनाई गई. साथ ही वह मोक्का का भी दोषी है. इस कारण 2006 में शासन द्वारा किए गए प्रावधान का लाभ उसे मिलना असंभव रहने की बात दर्ज करते हुए राज्य शासन ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की. इस पर ग्रीष्मकाल के अवकाश के बाद यानी 8 जुलाई के बाद सुनवाई होने की संभावना है.

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