नागपुर/दि. 20– मूर्तिजापुर के गाडगे महाराज महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संतोष ठाकरे की प्राचार्य पद पर पुन: नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दिया था. फिर भी संगाबा अमरावती विद्यापीठ की चयन समिति ने डॉ. ठाकरे की नियुक्ति को मान्यता दी. इसके विरुद्ध न्यायालय में दायर अपमान याचिका पर कोर्ट ने डॉ. ठाकरे के पुन: नियुक्ति संदर्भ में निर्णय नहीं करने का निर्देश अमरावती विवि को दिया है.
प्राचार्य संतोष ठाकरे को गत 21 नवंबर 2021 को सेवा के 5 वर्ष पूर्ण होने से प्राचार्य पद छोडना पडा. श्री गाडगे महाराज शिक्षा संस्था ने उन्हें समयावृद्धि देने का प्रस्ताव विद्यापीठ को दिया था. विद्यापीठ कानून के अनुसार प्राचार्य की नियुक्ति करना अथवा उन्हें समय वृद्धि देने के सर्वाधिकार शिक्षा संस्था को रहते हैं. विद्यापीठ को प्रस्ताव भेजकर औपचारिकता पूर्ण करनी होती है. किंतु प्राचाय डॉ. ठाकरे पर विविध आरोप रहने से उन्हें समयावृद्धि देने में विद्यापीठ को रुचि न रहने से विलंब किया गया. विद्यापीठ व्दारा प्रस्ताव की दखल न लेने से प्राचार्य ठाकरे को परस्पर प्राचार्य डॉ. आर. डी. सिकची और प्राचार्य डॉ. भिसे की समिति तैयार कर विद्यापीठ के पास समयावृद्धि की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव दिया गया. विद्यापीठ ने इस संदर्भ में संस्था को कोई निर्देश नहीं दिए. फिर भी उपरोक्त दोनों प्राचार्य व्दारा बनावटी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए जाने से नाराजगी व्यक्त कर स्पष्टीकरण मांगा गया.
दूसरी तरफ महाविद्यालय के कुछ प्राध्यापकों ने उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में आवेदन दाखिल कर इस बनावटी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करनेवाले लोगों पर फौजदारी अपराध दर्ज करने की विनंती की. उपरांत यह मामला सर्वोच्च न्यायालय तक हपुंचा. नियुक्ति पर रोक लगाई गई.
इसके बाद भी अमरावती विवि ने चयन समिति स्थापित कर डॉ. ठाकरे की पुन: नियुक्ति को अनुमति दी. जिसके विरुद्ध याचिकाकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय में डिफिमेशन याचिका दायर की है. कोर्ट ने विवि को निर्देश दिए हैंं.
* जन्मतिथि में विषमता
डॉ. संतोष ठाकरे की जन्मतिथि में फर्क रहने के संदर्भ में उच्च शिक्षा विभाग से शिकायत की गई थी. अमरावती विभाग के सहसंचालक ने इस बारे में जांच समिति नियुक्त की है. समिति से 15 दिनों में रिपोर्ट देने कहा गया है.