विदर्भ

फोन पर भी हो सकती है घरेलू हिंसा ः हाईकोर्ट

ताना मारना भी मानसिक प्रताड़ना

नागपुर/दि.26- बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया फैसले में माना है कि घरेलू हिंसा फोन पर भी हो सकती है. आरोपी और पीड़िता के साथ रह रहे हो, यह जरुरी नहीं है. इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने नागपुर की इंदिरा नगर निवासी एक युवती के ससुराल वालों पर दर्ज एफआईआर खारिज करने से इनकार कर दिया. हाईकोर्ट ने ससुराल वालों की याचिका खारिज करते हुए उन पर न्यायिक व्यवस्था के दुरुपयोग के लिए 10 हजार रुपए की कॉस्ट भी लगाई है.
दलील अस्वीकार
दरअसल इस 30 वर्षीय युवती ने शहर के हुडकेश्वर पुलिस थाने में ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी. इस शिकायत में उन सदस्यों का भी नाम था जो पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में रहते थे. ऐसे में उन्होंने एफआईआर खारिज करने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली. हाईकोर्ट में दलील दी कि वे पीड़िता के साथ निवास नहीं कर रहे थे. ऐसे में उन पर घरेलू हिंसा का कोई मामला नहीं बनता. लेकिन इस दलील को अस्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने माना कि जरुरी नहीं है कि एक साथ रहने पर ही घरेलू हिंसा हो सकती है. आज-कल संवाद के नए तरीके उपलब्ध है. फोन पर भी किसी महिला को मानसिक प्रताड़ना दी जा सकती है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले मेें यह भी माना कि किसी विशेष उद्देश्य से महिला को शाब्दिक प्रताड़ना देना या तो मारना भी घरेलू हिंसा होता है. इस मामले में कई ऐसे तथ्य है, जिससे याचिकाकर्ताओं का दोष प्रथम दृष्ट्या सिद्ध हो सकता है. मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने यह फैसला दिया है.

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