* संतरे के पेड काटकर टमाटर की खेती कर रखी मिसाल
चांदूर बाजार/दि.8-कर्ज का बोझ, फसल की बर्बादी से निराश होकर आत्महत्या न करें. घाटा या मुनाफा हर व्यवसाय में होता रहता है. इससे हिम्मत न हारते हुए नई-नई फसल लगाकर समस्या को मात दी जा सकती है. सरकार किसानों को समय-समय पर मार्गदर्शन करें. किसान ‘आत्महत्या नहीं, नई फसल लगाओ’ यह संदेश जसापुर के किसान प्रदीप बंड ने दिया है. प्रदीप बंड ने अपने खेत में लगे संतरा पेडों की कटाई कर टमाटर की खेती ली और सभी के समक्ष एक मिसाल पेश की है.
अन्नदाता के रूप में किसान तथा कृषि प्रधान देश के रूप में भारत की पहचान है. अनियमित बारिश व लगातार प्राकृतिक आपदा से किसान तंग आ गए हैं. उसी में उपज खर्च पर आधारित दाम कृषि माल को न मिलने से वह कंगाल हो गए हैं. कर्ज का बोझ बढ़ने से उन पर आत्महत्या की नौबत आती है. तहसील में 15 हजार हेक्टेयर पर संतरे के बाग लगाए गए हैं. लगातार संतरे के फल झड़ने से जसापुर के किसान प्रदीप बंड ने उपाय व मार्गदर्शन के लिए नींबू फल शोध केंद्र के वैज्ञानिकों से बार-बार संपर्क किया, लेकिन अपेक्षित प्रतिसाद न मिलने से उसने 2 एकड़ के संतरे के पेड़ जड़ से उखाड़ डाले. फिर भी निराश न होते हुए उसने शुरुआती दौर में तरबूज की फसल लगाई. लेकिन अपेक्षित आय न मिलने से इस वर्ष टमाटर की खेती करने का निर्णय लिया. अलग-अलग तरह के 14 हजार पौधे खरीद कर उसने 2 एकड़ में 7 जून को वह पौधे लगाए. सवा दो माह में फसल तैयार हो गई. सस्ते रासायनिक खाद का इस्तेमाल कर हर तीन दिन बाद दवा का छिड़काव किया. इस तरह टमाटर का उत्पादन घर आने तक 3 लाख रु. की लागत अपेक्षित है. 15 दिनों में टमाटर तैयार होने की अपेक्षा बंड ने व्यक्त की.
बाजार में प्रति कैरेट ढाई से तीन हजार रु. का भाव है. इससे दाम कम हो गए तो भी 500 रु. प्रति कैरेट (20 रु. किलो) के दाम से बेचे जाने पर भी उन्हें 10 लाख की आय मिल सकती है. इसी तरह 2 एकड़ के संतरे के पेड़ काटकर गत दो वर्षों से बंड 11 महीने में केले की फसल पर सवा 2 लाख रु. की लागत लगाकर 14 लाख की आय प्राप्त कर रहे है.