विदर्भ

मई महीने में महाराष्ट्र में दोगुना बिजली कटौती का संकट

अप्रैल आखिर में कोयना बांध पड़ेगा सूखा

नागपुर/दि.14- ऊर्जा विभाग के गलथान कारभार के कारण मई महीने में राज्य की लोडशेडिंग दोगुना बढ़ने वाली है. महाजेनको के विरोध करने के बाद भी फिलहाल लोडशेडिंग कम करने के लिए विभाग ने 1800 मेगावॉट का कोयना जल विद्युत केंद्र पूर्ण क्षमता से चलाने के लिए कहा है. लेकिन अप्रैल आखिर में बांध सूखेगा और इसके बाद तीन हजार मेगावॉट पर जाएगा एवं महावितरण को दोगुनी लोडशेडिंग करनी पड़ेगी. लोडशेडिंग सिर्फ घंटों से ही नहीं बढ़ेगी बल्कि अनेक भागों में बिजली आपूर्ति खंडित होगी.
महाजेनकों के अधिकारी ने बताया कि कोयना में जल विद्युत निर्मिती के लिए सिर्फ 7 टीएमसी पानी शेष था. लेकिन जलसंपदा विभाग ने और 10 टीएमसी पानी इस्तेमाल करने की अनुमती दी. मात्र यह प्लांट रात-दिन शुरु रहने से अप्रैल आखिर तक यह अतिरिक्त पानी खत्म होगा और इसके बाद बिजली की परिस्थिति अनियंत्रित होगी. जून के शुरुआत तक पानी शेष रहे, इसके लिए प्लांट दिन में सिर्फ 8 से 10 घंटे चलाना चाहिए.
फिलहाल जी-1, जी-2 एवं जी-3 श्रेणी फीडर पर लोडशेडिंग की जा रही है. जिसका विपरीत व संकलन नुकसान 58 प्रतिशत से अधिक है. मात्र कोयना निर्मिती रुकने के बाद हमें डी, ई व एफ श्रेणी फीडर में भी बिजली कटौती शुरु करनी पड़ेगी. उम्मीद है कि ए, बी व सी श्रेणी फीडर पर (डीसीएल 34 प्रतिशत से कम) लोडशेडिंग करनी पड़ेगी, ऐसी स्थिति निर्माण नहीं होगी अन्यथा प्रामाणिक ग्राहकों को नाहक परेशानी काक सामना करना पड़ेगा, ऐसी जानकारी एक अधिकारी ने दी.
राज्य सरकार कोयला किल्लत के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है. मात्र, महाजेनको के पास ठंड में भी कोयला न होने की वस्तुस्थिति है. डब्ल्युसीएल को 2 हजार 600 करोड़ रुपए देने में कंपनी को मिली असफलता यह एक कारण है. महावितरण ने बिल न भरने के कारण महाजेनको पैसे नहीं दे सकी. बावजूद इसके राज्य सरकार के विभागों ने 9 हजार करोड़ से अधिक के बिल नहीं भरे है.

महावितरण से विक्रमी वसुली, फिर भी पैसे नहीं
महावितरण ने मार्च महीने में सभी प्रकार के ग्राहकों से 7,100 करोड़ रुपए वसुल किए थे. बड़े पैमाने पर किसानों ने बकाया बिल भरा, लेकिन फिर भी महंगी बिजली लेने के लिए पैसे नहीं होने का दावा कंपनी ने किया है. कंपनी ने आपूर्तिदार व ठेकेदारों को पैसे नहीं दिए. यह पैसे कहा गए, ऐसा प्रश्न नागरिकों द्वारा किया जा रहा है. कंपनी ने विक्रमी वसुली नहीं की, ऐसा विचित्र दावा कंपनी के प्रवक्ता ने किया है.

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