विदर्भ

अत्याधुनिक तकनीक के कारण मांग में गिरावट

नागपुर/ दि. 20– फिलहाल राजनीतिक अखाडे में तुफानी आवाज करने वाले भोंगे की हकीकत में ‘दबी हुई’ आवाज में खुद के अस्तित्व को पुकार रहा है. अत्याधुनिक तकनीकी ज्ञान के कारण पूरा साउंड सिस्टम हाईटेक होने के कारण कभी किसी मंगल प्रसंग में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले एल्युमिनियम के भोंगे की मांग पहले जैसे नहीं रह गई.
विवाह समारोह समेत विभिन्न सभा, काकड आरती, नमाज, जत्रा कोई भी पारिवारिक कार्यक्रम, नये लगने वाले फिल्म की घोषणा, चुनाव का प्रचार करने के लिए पहले भोंगे का निश्चित ही उपयोग किया जाता था. आज से 15-20 वर्ष पहले बडा गोलाकार व उसकी लंबी पूछ ऐसे आकार का एल्युमिनियम का भोंगा सभी ओर दिखाई देता था. ढोल बजाकर दवंडी पिटने के दिन जाने के बाद नागरिकों को सूचित करने के बाद भोंके का उपयोग किया जाता था. अब यह भोंगे कुछ विशिष्ट स्थल तक मर्यादित हो गए है.
बीतते वक्त के अनुसार अब मंदिर, मस्जिद या किसी राजनीतिक सभा तक यह भोंगे का अस्तित्व रह गया है. अत्याधुनिक लाउडस्पीकर के कारण पुराने धातु के भोंगे कोई भी अपनाने को तैयार नहीं. राजनीतिक टीका-टीप्पणी पर ध्यान केंद्रीत करने वाला भोंगा साउंड सिस्टम अब मार्केट से बाहर हो गया है. इस बारे में जानकारी देते हुए 36 वर्षों से भोंगे बेचने वाले मारुती रेडियो सेंटर के संचालक नरेश देवगडे ने बताया कि, एल्युमिनियम के भोंगे की अब पहले जैसे मांग नहीं रह गई. ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे भोंगे की बिक्री होती है. धार्मिक प्रतिष्ठान, बिछायत केंद्र व्दारा पुराने भोंगे की खरीदी की जाती है. विभिन्न आकार के 800 से 900 भोंगे सालभर में बेचे जाते है. पहले जैसी बिक्री नहीं होने की बात उन्होंने कही.

इस तरह है भोंगे की कीमत
एल्युमिनियम भोंगे की कीमत आकार के अनुसार तय की जाती है. 24 इंच, 22 इच, 18 इंच, 15 इंच, 12 इंच ऐसे आकार में भोंगे उपलब्ध है. इसकी कीमत 250 से 750 रुपए तक है. नागपुर में दिल्ली और मुंबई से भोंगे बेचने के लिए लाये जाते है.

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